मुनिवृंद का आध्यात्मिक मिलन

संस्थाएं

मुनिवृंद का आध्यात्मिक मिलन

बगोमुंडा।
तेरापंथी सभा, बगोमुंडा के तत्त्वावधान में तेरापंथ भवन में मुनि रमेश कुमार जी, मुनि प्रशांत कुमार जी चारों संतों का आध्यात्मिक मिलन समारोह आयोजित हुआ। इस अवसर पर पश्चिम उड़ीसा के अनेक क्षेत्रों के सैकड़ों भाई-बहनों ने भाग लिया। इससे पूर्व चार छक्क रोड़ के चौराहे पर मुनि रमेश कुमार जी और मुनि प्रशांत कुमार जी का आध्यात्मिक मिलन हुआ। तेरापंथ भवन में आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनि रमेश कुमार जी ने कहा कि संतों का मिलन सुखदाई और कल्याणकारी होता है। संत स्वपर कल्याण के मार्ग पर चलते हैं। हिंदुस्तान की धरती संत एवं धर्म की भूमि है। संत और धर्म के लोगों का विशेष आकर्षण है। संत के पास जाए तो माया एवं अभिमान की गठरी लेकर न जाएँ। माया और अभिमान को बाहर छोड़कर जाने से परमात्मा की प्राप्ति होती है।
मुनिश्री ने आगे कहा कि मुनि प्रशांत कुमार जी हमारे धर्मसंघ के विद्वान, सरलमना, प्रवचनकार संत हैं। जैसा नाम वैसा स्वभाव है। मुनि कुमुद कुमार जी में लोगों को जोड़ने की कला बहुत अच्छी है। परिश्रमी हैं। मुनि प्रशांत कुमार जी ने कहा कि आज हमें बहुत प्रसन्नता हो रही है, आज हमारे पुराने साथी संत मिले हैं। अच्छे परिश्रमी संत हैं। अच्छे अनुभव प्राप्त करते हुए अपने जीवन की गरिमा बढ़ा रहे हैं। मुनि कुमुद कुमार जी ने कहा कि मुनि रमेश कुमार जी हमारे धर्मसंघ के विद्वान साधनाशील संत हैं। अपनी व्यवहार कुशलता से धर्मसंघ की उल्लेखनीय प्रभावना कर रहे हैं। स्वास्थ्य की अनुकूलता न होने के उपरांत भी लंबी यात्रा कर गुरुइंगित की पालना की। आज आपसे बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। आपका टिटलागढ़ चातुर्मास ऐतिहासिक होगा। मुनि रत्न कुमार जी दीक्षा से बाल उम्र से युवा एवं अपने कार्य व्यवहार एवं अनुभव से प्रौढ़ हैं। आप रत्न की तरह चमकते रहें।
मुनि रत्नकुमार जी ने कहा कि संतों का आपसी मिलन देखा। किस प्रकार संत आत्मीय सौहार्द से मिल रहे थे। जो हृदय में सेंटर में होता है, उसका अपना महत्त्व होता है। पश्चिम उड़ीसा के श्रावक समाज दोनों चातुर्मास का लाभ उठाएँ। इससे पूर्व कार्यक्रम का शुभारंभ मुनि रमेश कुमार जी के महामंत्रोच्चार से हुआ। तेरापंथ महिला मंडल बगोमुंडा ने मंगलाचरण किया। सभाध्यक्ष अशोेक जैन, कांटाबांजी सभामंत्री सुमित जैन, ओडिशा प्रांतीय तेरापंथ सभा अध्यक्ष मुकेश जैन, बगोमुंडा ज्ञानशाला के ज्ञानार्थी, टिटलागढ़ से पदमसेन जैन आदि अनेक वक्ताओं ने गीत एवं वक्तव्य द्वारा अपने विचारों की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का संचालन एवं आभार महासभा प्रभारी केवनारायण जैन ने किया।