संघ वन में....

संघ वन में....

साध्वी स्वस्थप्रभा

भिक्षु गण बागां में आई नई बहार
संघवन में खिलतो महाश्रमण मंदार
श्री सुषमा गुण महकतो हां श्री सुषमा गुण महकतो
मैत्री करुणा रसदार
संघ वन में----।।

गण रत्नाकर में चमकीली मणियाँ बेसुमार।
गहरै पाणी पैठ निकाली भास्वर मणी गणधार।।

पुर सरदारशहर में मेलो खुशियाँ रो इण बार।
च्यार तीरथ नै दिखलाई प्रभु रचना रम्याकार।।

साध्वीप्रमुखां रै नवमे पट्ट शोमौ दिव्य दीदार।
मुदित मना संघ आज बधावै चिहुं दिशि जय-जयकार।।

प्रथम नियोजिका समण श्रेणी रा पा तुलसी रिझवार।
कुशल व्यवस्था पाकर हर्षित समणी गण गुलजार।।

तप जप श्रुत स्वाध्याय ध्यान स्यूँ जीवन सौरभदार।
महाप्रज्ञ साहित्य संपादन ल्यायो नयो निखार।।

जुग-जुग जीओ रहो निरामय दीपै ओ दरबार।
स्वस्थ प्रभा विनती चरणां स्यूँ जुड़यो रह्नै दिलवार।।
भिक्षु गण बागां
संघ वन में---
श्री सुषमा गुण महकतो----

लय: आपणै भागां री---