अक्षय तृतीया के विविध आयोजन अक्षय तृतीया सुपात्र दान की अमर गाथा है

अक्षय तृतीया के विविध आयोजन अक्षय तृतीया सुपात्र दान की अमर गाथा है

नोखा

प्रथम तीर्थंकर भगवान ॠषभ के पारणे का शुभ दिन अक्षय तृतीया तब से प्रारंभ है, वर्षीतप करने वाले दुबले-पतले हो लेकिन द‍ृढ-संकल्प आस्था और वैराग्य भावना से वर्षीतप किया जा सकता है। यह उद्गार शासन गौरव साध्वी राजीमती जी ने साध्वी उदितयशा जी के वर्षीतप अभिनंदन समारोह, साध्वी मर्यादाप्रभा जी के एकांतर तप के तीन वर्ष संपन्‍नता पर विशेष आशीर्वाद पर कहे।
साध्वीप्रमुखाश्री कनकप्रभा जी का मंगल संदेश इंदौर से प्राप्त साध्वी मनीषाश्री जी ने वर्षीतप पर आशीर्वाद संवाद पढ़कर सुनाया। साध्वी ज्ञानप्रभा जी, साध्वी कीर्तिश्री जी, साध्वी समताश्री जी, साध्वी मुकुलयशा जी, साध्वी कुसुमप्रभा जी, साध्वी पुलकितयशा जी, साध्वी मनीषाश्री जी, साध्वी संवेगश्री जी, साध्वी प्रभातप्रभा जी आदि साध्वियों ने संयम, साधना, सहिष्णुता के साथ तपस्या करना विशेष साधना बताया एवं साध्वी उदितयशा जी को बधाई दी।
तप क्यों, तप कैसे, क्या मिलता है आदि जिज्ञासा के साथ संवाददाता के रूप में संवाद साध्वीवृंद ने रोचकता से प्रस्तुत कर भावविभोर कर दिया। तेरापंथ सभाध्यक्ष हनुमानमल ललवानी, मंत्री इंदरचंद बैद, उपासक अनुराग बैद, सुनील बैद, गोपाल लुणावत, लाभचंद छाजेड़, महिला मंडल अध्यक्षा कुसुम देवी छाजेड़, मंत्री मंजु बैद व साध्वीश्री की मातुश्री लीलादेवी सालेचा, जोरावरपुरा महिला मंडल व नोखा महिला मंडल ने तप अभिनंदन, वर्धापना भावांजलियाँ प्रस्तुति की।
शासनश्री साध्वी सुप्रभा जी ने तपस्वी साध्वी अणचां जी, भूरांजी पन्‍नांजी महासती को याद करते हुए साध्वी उदितयशा जी ने किया। अक्षय तृतीया के अवसर पर गीतों की बहार रही।