बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी आचार्यश्री महाप्रज्ञ

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बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी आचार्यश्री महाप्रज्ञ

दिल्ली।
भंसाली भवन, शाहदरा में समायोजित प्रज्ञा दिवस को संबोधित करते हुए शासनश्री साध्वी रतनश्री जी ने कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ जी ने रेतीली धरती और खुले आकाश में मातुश्री बालू की रत्न कुक्षि से जन्म लिया। सरदारशहर की पुण्य धरा पर आचार्यश्री कालूगणी के मुख कमल से दीक्षित हुए। दीक्षा के तत्काल बाद आपको तुलसी के संरक्षण में सौंप दिया। आप एक अनघड़ पत्थर के तुल्य तुलसी के पास आए पर तुलसी ने पत्थर को तराशकर एक आकर्षक प्रतिमा का निर्माण कर दिया। आप समर्पित बनकर उनकी छत्रछाया में रहे, एक-एक सोपान का आरोहण करते-करते प्रज्ञा के शिखर पर आरूढ़ हो गए।
आपने धर्मसंघ को अनेक मूल्यवान अवदान दिए-प्रेक्षाध्यान, जीवन-विज्ञान, आगम संपादन, अहिंसा यात्रा आदि। साहित्य सृजन के क्षेत्र में 300 ग्रंथों का प्रणयन करके एक नया कीर्तिमान बना दिया। आपके साहित्य का पठन दिग्गज विद्वान करते हैं तो वे विस्मथाभिभूत हो जाते हैं। कार्यक्रम का शुभारंभ आशी भंसाली ने मंगलाचरण से किया। शासनश्री साध्वी सुव्रताजी ने आचार्य महाप्रज्ञ ग्रंथों के प्रणयन के संदर्भ में अवगति देते हुए पठन-पाठन के लिए प्रेरित किया। शासनश्री साध्वी सुमनप्रभा जी ने आचार्य तुलसी के हाथों में आपका निर्माण कैसे हुआ एवं साध्वी चिंतनप्रभाजी ने आपके बहुआयामी व्यक्तित्व पर भावाभिव्यक्ति दी। साध्वी कार्तिकप्रभाजी ने सुमधुर स्वरों से आचार्य अभिवंदना की।
तेरांपथ महासभा के प्रभारी मन्नालाल बैद, दिल्ली सभा के महामंत्री प्रमोद घोड़ावत, ओसवाल समाज के अध्यक्ष बाबूलाल दुगड़, दिल्ली तेयुप के विकास बोथरा, शाहदरा सभा के अध्यक्ष पन्नालाल बैद, गांधीनगर सभा से हेमराज राखेचा, दिल्ली महिला मंडल से प्रेम भंसाली, सरला बैद, सपना भंसाली, मुक्ता भंसाली, ज्योति सेठिया, प्रीति भंसाली, जिनेश्वरी चंडालिया, सुभाष सेठिया, शाहदरा सभा के मंत्री आनंद बुच्चा ने समागत सभी बंधुओं के प्रति एवं साध्वीश्री जी के प्रति आभार एवं धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम का संचालन राजेंद्र सिंघी ने किया।