अर्हम्

अर्हम्

मधुर गीत गा रही है साध्वीप्रमुखा को आज बधाएँ।
साँसों की सरगम पे हर मन मधुर संगीत सुनाएँ।।

महाश्रमण ने सरजा साध्वीप्रमुखा व्यक्तित्व तुम्हारा,
संघ भाल पर उदित हुआ है अप्रतिम सितारा,
मन मोहक मन महकता गुलशन तुमसे सरसाएँ।

सम शम-श्रम की तरंगिणी में नहाकर तुम सम हम बन पाएँ,
विनय समर्पण की ज्योति से परम पुनित प्रभात हुआ है,
सहज सरल सात्विक आभा से नव इतिहास रचना है।

और नहीं कुछ चाह मन में श्रद्धा के ये सुमन चढ़ाऊँ,
भक्ति के भावों से पूरित मन के ये उद्गार सुनाऊँ,
सौम्य सुरम्य जीवन साध्वीप्रमुखा को आज बधाऊँ।