अर्हम्

अर्हम्

रूपाली भोर है आई, गण मे खुशहाली लाई।
साध्वीप्रमुखाश्री जी, झेलो सौ-सौ बार बधाई।।

चंदेरी की धवल चाँदनी, बन गई भिक्षु संघ मन भावनी।
चाली पूरव पुरवाई---गण में---।।

हुई घोषणा हिवड़ो ठरग्यो, अनमोलो ओ हीरो मिलग्यो।
दिल री कली कली विकसाई---।।

तुलसी गुरुवर संयम पायो, महाप्रज्ञ जी खूब बढ़ायो।
नेमासुत रिझवारी बकसाई---।।

गुरुदृष्टि इंगित आराधन, मान्यो आत्मा रो सुख साधन।
सजगता हरपल दिखलाई---।।

संपादन शैली अलबेली, ज्ञान ध्यान स्यूँ भर ली झोली।
त्याग वैराग्य तरुणाई---।।

श्रमणी संघ चरणां अनुगामी, करो इशारो नहीं हुवैला खामी।
गण सैनानी गुरु परछाई---।।

शासनमाता रो ओ आसन खूब दीपाओ बरसै आनंदघन।
गण आँगण में खुशियाँ छाई---।।

लय: ओ मेरे यार सुदामा---