रूपांतरण शिल्पशाला का आयोजन

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रूपांतरण शिल्पशाला का आयोजन

उधना।
अभातेममं के निर्देशानुसार महिला मंडल के तत्त्वावधान में रूपांतरण शिल्पशाला ‘संयम-एक युद्ध स्वयं के विरुद्ध’ कार्यशाला का आयोजन समणी हंसप्रज्ञा जी, समणी हर्षप्रज्ञा जी के सान्निध्य में आयोजित हुई। समणी हंसप्रज्ञा जी द्वारा नमस्कार महामंत्र से शुरुआत हुई। महिला मंडल की बहनों ने मंगलाचरण किया। अध्यक्षा जस्सु बाफना ने सभी का स्वागत किया। समणी हर्षप्रज्ञा जी ने कहा कि छोटे-छोटे नियम लेकर हमें आगे बढ़ना चाहिए। चार कषाय-क्रोध, मान, माया, लोभ इससे हम कैसे इंद्रियों के द्वारा संयम करें। महिला मंडल की बहनों ने सुंदर गीतिका प्रस्तुत की।
समणी हंसप्रज्ञा जी ने कहा कि युद्ध दो तरह का होता है-बाहरी युद्ध, भीतरी युद्ध। हमें भीतरी युद्ध करना चाहिए जो अपने कषाय से युद्ध करता है सही में अपनी आत्मा से युद्ध करता है। वही सही युद्ध है। संयम का जीवन जीते हुए जीवन सुखमय बनाएँ। महिला मंडल की बहनों के द्वारा गीतिका का संगान हुआ। कार्यशाला में महिला मंडल के पदाधिकारियों की उपस्थिति रही। कार्यक्रम का संचालन साहित्य प्रभारी ललिता चोरड़िया ने किया। आभार कन्या मंडल प्रभारी नीलम डांगी ने किया।