आचार्यश्री महाश्रमण अभ्यर्थना समारोह

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आचार्यश्री महाश्रमण अभ्यर्थना समारोह

कोटे (कर्नाटक)
आचार्यश्री महाश्रमण जी का युगप्रधान अलंकरण दिवस व पदाभिषेक दिवस कोटे में मनाया गया। मुख्य वक्ता डॉ0 रेणु कोठारी ने आचार्यश्री को विश्व की महान विभूति बताया। डॉ0 साध्वी गवेषणाश्रीजी ने कहा कि काल के भाल पर स्वस्तिक उकेरने वाले सिद्धपुरुष का नाम हैµमहाश्रमण। श्रद्धा और समर्पण का नाम हैµमहाश्रमण। प्रज्ञा और पुरुषार्थ की प्रयोगशाला का नाम हैµआचार्य महाश्रमण। आचार्य महाश्रमण दिव्यपुरुष और तेजोपुंज हैं। इनकी यशोगाथा दिग्दिगांत तक फैली हुई है। साध्वी मयंकप्रभाजी ने कहा कि युगप्रधान वह होता है, जो युग की नब्ज को जानता है, जो युग की परिभाषा को जानता है, जो युग के अनुकूल चलता है, जो युग को नई दिशा बोध देता है। साध्वी दक्षप्रभाजी ने अपने आराध्य की अभिवंदना में एक सुमधुर गीतिका प्रस्तुत की। साध्वी मेरुप्रभाजी ने संयोजन किया। कार्यक्रम की शुरुआत साध्वीश्री जी के महाश्रमण अष्टकम् के मंगलाचरण से हुई। स्वागत भाषण नारायण सिंह कुमावत ने प्रस्तुत की और धन्यवाद ज्ञापन मनोज गन्ना ने किया। ज्ञानशाला की संयोजिका पायल कोठारी व कोमल पोखरना के नेतृत्व में बालक-बालिका की भावपूर्ण प्रस्तुति ने सबका मन मोह लिया। हुणसुर तेयुप अध्यक्ष किशोर सुकलेचा, मैसूर सभा अध्यक्ष शांतिलाल कटारिया, राजस्थानी समाज ने आचार्य अभ्यर्थना की। तेयुप अध्यक्ष विक्रम पितलिया व प्रियंका भटेवरा ने अपने विचार रखे। महिला मंडल ने गीतिका प्रस्तुत की। कन्हैयालाल दलाल, रतनलाल, ओम, पारसमल गन्ना, प्यारेलाल, गणपत, रवि, रतन, मंगलाराम सीरवि, गोपाल शर्मा आदि की उपस्थिति व दीपिका, दक्ष, ऋषभ, विनोद, माही, परी आदि बच्चों ने परिसंवाद प्रस्तुत किया। के0आर0 नगर, मैसूर, हुणसुर, होसकेट आदि गाँवों के लोगों ने अच्छी संख्या में उपस्थिति दर्ज कराई।