चातुर्मासिक क्षेत्र में मुनिवृंद का स्वागत

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चातुर्मासिक क्षेत्र में मुनिवृंद का स्वागत

सूरत
मुनि उदित कुमार जी अपने सहवर्ती संत मुनि अनंत कुमार जी, मुनि रम्य कुमार जी एवं मुनि ज्योतिर्मय कुमार जी के साथ चातुर्मासार्थ सूरत पधारे। सूरत महानगर की सीमा में उन्होंने प्रवेश किया तो उनका तेरापंथी सभा एवं अन्य संस्थाओं द्वारा भावपूर्ण स्वागत किया गया। इस अवसर पर स्वागत कार्यक्रम के पश्चात मुनिश्री सारोली स्थित मांगीलाल झाबक के प्रतिष्ठान पधारे, जहाँ मुनिश्री ने कहा कि इस दुनिया में कुछ पदार्थ द्रव्य मंगल होते हैं, कुछ पदार्थ भाव मंगल होते हैं। श्रीफल, कुमकुम, गुड आदि कुछ पदार्थ द्रव्य मंगल माने गए हैं। लेकिन अध्यात्म के क्षेत्र में भाव मंगल का बड़ा महत्त्व है। भाव मंगल में श्रेष्ठ हैµधर्म। मुनिश्री ने आगे कहा कि सूरत की जनता अध्यात्मप्रिय जनता है। अहिंसा और संयम का यथासंभव पालन करती है। मुनिश्री ने तेरापंथी सभा, महिला मंडल, तेयुप, अणुव्रत समिति, टीपीएफ आदि सभी संस्थाओं की सेवा प्रवृत्ति की प्रशंसा की। मुनि अनंत कुमार जी ने कहा कि सूरत मेरी कर्मभूमि रही है। 23 वर्ष पूर्व मेरी दीक्षा गुरु आज्ञानुसार सूरत में ही मुनि सुमेरमलजी स्वामी के करकमलों से हुई थी। तत्पश्चात पहली बार गुरु आज्ञा से सूरत आने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। सूरत का चातुर्मास मेरे लिए विकास के नए द्वार उद्घाटित करने वाला सिद्ध होगा ऐसा दृढ़ विश्वास है। मुनि रम्य कुमार जी एवं मुनि ज्योतिर्मय कुमार जी भी उपस्थित रहे। तेरापंथी सभा, सूरत के अध्यक्ष हरीश कावड़िया ने कहा कि मुनिश्री परम विद्वान् संत हैं। उनका चातुर्मास मिलना सूरत का सौभाग्य है। मैक्स प्योर वॉटर सिस्टम के कैलाश झाबक ने स्वागत वक्तव्य दिया। तेरापंथ महिला मंडल की बहनों ने मंगलाचरण किया। संपत झाबक ने आभार ज्ञापन किया। कार्यक्रम का संचालन तेरापंथी सभा के मंत्री नरपत कोचर ने किया।