अर्हम

अर्हम

समणी मृदुप्रज्ञा

होऽऽ झूमझूम गुण गाऊँ रे तेरापंथ सरताज।
गुरु दर्शन पा हरसाऊँ मैं।।

युगप्रधान गुरुवर महाग्यानी,
दीक्षा दिवस पर की फरमानी,
सुदी चौदस दिन मंगल गाया,
साध्वीप्रमुखा चयन लुभाया।।1।।

शासनमाता को साज दिया था,
तुलसी कृति ने तुम पर नाज किया था,
महाप्रज्ञ का काम सवाया,
महाश्रमण नव इतिहास रचाया।।2।।

स्वाध्याय ध्यान से जीवन संवारा,
गुरुभक्ति गुरुइंगित सहारा,
मौन समर्पण से जीवन सजाया,
मंत्र साधना ने ताज पहनाया।।3।।

चंदेरी धरती का गौरव बढ़ाया,
गण महिमा को शिखरों चढ़ाया,
साध्वी समाज देता बधाई,
जन-जन मन में खुशियाँ है छाई।।4।।