आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी के 102वें जन्म दिवस समारोह के आयोजन - अध्यात्म के महासूर्य थे आचार्यश्री महाप्रज्ञ

संस्थाएं

आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी के 102वें जन्म दिवस समारोह के आयोजन - अध्यात्म के महासूर्य थे आचार्यश्री महाप्रज्ञ

चंडीगढ़

आचार्य महाप्रज्ञ जी ‘एक जीवित किंवदंती’ केवल एक व्यक्‍ति ही नहीं बल्कि एक उद्देश्य भी है, वह वह धारणा है जो समय या क्षेत्र से बंधी नहीं हो सकती। लोकप्रिय रूप से मोबाइल विश्‍वकोश’ के रूप में जाना जाने वाला, अनंत ज्ञान का खजाना था। यह शब्द मनीषी संत मुनि विनय कुमार जी ‘आलोक’ ने आचार्य महाप्रज्ञ जी के 102वें जन्म दिवस पर कहे। मुनिश्री ने आगे कहा कि आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी के कर्तव्य का मूल्यांकन करते हुए आपको आचार्य तुलसी द्वारा सन् 1944 में अग्रगण्य बनाया गया। आपकी निर्मल प्रज्ञा से संघ, देश, विश्‍व लाभान्वित हुए।
मुनि विनय कुमार जी ‘आलोक’ ने कहा कि राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर सहित अनेक बुद्धिजीवियों ने आचार्यश्री महाप्रज्ञ को भारत का दूसरे विवेकानंद करार दिया। आचार्य महाप्रज्ञ ऐसे दार्शनिक और क्रांतिकारी संत थे, जिन्होंने अपने अनुपम, अद्भुत और अद्वितीय विचारों से समाज का मार्गदर्शन किया, साथ ही अनेक आध्यात्मिक रहस्यों से पर्दा उठाया।