आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी के 102वें जन्म दिवस समारोह के आयोजन - अध्यात्म के महासूर्य थे आचार्यश्री महाप्रज्ञ

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आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी के 102वें जन्म दिवस समारोह के आयोजन - अध्यात्म के महासूर्य थे आचार्यश्री महाप्रज्ञ

चेन्‍नई

आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी का 102वाँ जन्म दिवस प्रज्ञा दिवस के रूप में आचार्य महाप्रज्ञ जैन तेरापंथ पब्लिक स्कूल में साध्वी अणिमाश्री जी के सान्‍निध्य में मनाया गया।
साध्वी अणिमाश्री जी ने कहा कि आचार्य महाप्रज्ञजी प्रज्ञा के बेताज बादशाह थे। उनके मस्तिष्क में दुर्लभ ज्ञानमणियाँ थीं। उनकी नजरों में नेह का निर्झर प्रवाह होता था। उनकी साधना में सूर्य सी तेजस्विता थी। उनके आभामंडल में शशि जैसी शीतलता थी। उनके विचारों में, चिंतन में सागर की गहराई थी। उनके चारित्र में हिमालय जैसी ऊँचाई थी। उनके जीवन में निर्झर जैसी गतिशीलता थी।
साध्वी सुधाप्रभा जी ने कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ एक ऐसे महायोगी थे, जिन्होंने योग की साधना कर अयोग की दिशा में महाप्रस्थान किया। साध्वी समत्वयशा जी ने मंच संचालन किया। तेरापंथी सभा के निवर्तमान अध्यक्ष विमल चिप्पड़, महिला मंडल अध्यक्षा शांति दुधोड़िया, तेयुप के वरिष्ठ उपाध्यक्ष मुकेश नवलखा, टीपीएफ के चीफ ट्रस्टी एम0सी0 बलदोटा, कैलाश गोयल, मुकेश रांका, ताराचंद आंचलिया ने अपने भावों की प्रस्तुति दी। सुभद्रा लुणावत ने कन्या मंडल के साथ महाप्रज्ञ अष्टकम की प्रस्तुति दी। मंगलाचरण संगीता बाफना व शोभा भंसाली ने किया। सैकड़ों श्रावक-श्राविकाओं ने अपने आराध्य आचार्यश्री महाप्रज्ञ की अभिवंदना में त्याग-प्रत्याख्यान के माध्यम से अभ्यर्थना की।