अर्हम्

अर्हम्

खुशियाँ लेकर आई नूतन भोर है।
गुरुवर ने उपहार दिया हर मानव हर्ष विभोर है।।

सदाबहार मिला भैक्षव गण, तेजस्वी नेमानंदन।
साध्वीप्रमुखा मनोनयन, हम सविनय करते अभिवंदन।
हर्षित, पुलकित नाच रहे मन मोर।।

साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभाजी, करते हम सब अभिवंदन।
श्रमणी गण शंृगार बने, गरिमामय झेलो वर्धापन।
कीर्ति पताका फहराए, चिहुंओर है।।
महाश्रमण गुरुवर इंगित से, मिले आपका निर्देश।
विनय समर्पण सदा हमारा, धर्मसंघ यह नंदनवन।
गुरुवर करकमलों में जीवन डोर है।।

साध्वीप्रमुखाओं का गरिमामय इतिहास हमारा है।
शासनमाता ने हम सबमें फैलाया उजियारा है।
गण फुलवारी का सुरभित हर पौर है।।

लय: खड़ी नीम के नीचे---