गुरुदेवः शरणम्

गुरुदेवः शरणम्

रचनाकार कब, कहाँ, कैसे नए इतिहास का सृजन कर दे कल्पनातीत है। आचार्य भिक्षु ने छोटे से गाँव बींठोड़ा में अपने समर्पित एवं आदर्श शिष्य को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया। और प्रतीक रूप नई पछेवड़ी ओढ़ा दी। वर्तमान में युगप्रधान आचार्यप्रवर ने आज नया इतिहास रच दिया। हमारा यह तेरापंथ धर्मसंघ हीरों की खान है। वर्तमान में युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण जी उन हीरों के कुशल पारखी हैं। आचार्यप्रवर ने अपनी पैनी-पारखी नजरों से मुख्य नियोजिकाजी जैसी हीरकणी को परखकर संपूर्ण तेरापंथ धर्मसंघ के सामने साध्वीप्रमुखा के रूप में प्रतिष्ठित कर दिया। आपने आचार्यप्रवर का इतने कम समय में विश्वास प्राप्त किया, यह मात्र आपका सौभाग्य ही नहीं अपितु पूरे साध्वी समाज के लिए गौरव का विषय है एवं हम सबके लिए प्रेरणा है। आपने अपने आत्मोत्कर्ष के गुणों से गुरु-त्रयी का विश्वास पाया है, उस विश्वास को आप बहुगुणित कर संपूर्ण साध्वी (साधु) समाज का दिल जीत सके। यही नव-निर्वाचित साध्वी प्रमुखाश्री के प्रति मंगलकामना।
सृजनकार के नए सृजन का अभिनंदन, बागमाली ने सरप्राइज के साथ किया है नया चयन।
साध्वीप्रमुखा का हर दिन हर पल बने सफल, अमन चैन की करों दुआएँ, खिलता जाए संघ चमन।।

अंत में रचना के हर शब्द आप हैं, अर्थ आप हैं, भाव आप हैं,
प्रारंभ आप हैं, अंत आप हैं, सर्वत्र बस आप ही आप हैं।।

अंत में अंतः दिल से हार्दिक शुभकामना, मंगलकामनाएँ समर्पित।
आपश्री का स्वास्थ्य निरामय रहे। आपश्री की कुशल अनुशासना में संपूर्ण साध्वी समाज युगों-युगों गौरव वृद्धि करता रहे, इसी अंतर के पवित्र श्रद्धा भावों का गुलदस्ता।
नव-निर्वाचित साध्वीप्रमुखाजी के श्रीचरणों में अर्पित।
तुम जीओ हजारों साल, साल के दिन हो कई हजार।
दिवस का उत्तरार्ध पूर्वार्ध, अंतहीन पाएँ विस्तार।।
इन्हीं परम पवित्र भावना के साथ साध्वीप्रमुखाश्री का अभिनंदन-अभिनंदन-अभिनंदन।