अर्हम

अर्हम

तुलसी-तुलसी जप से होता घट-घट में उजियाला।
तुलसी की फैरूँ माला।।

भिक्षु शासन में तुलसी युग स्वर्णिम युग कहलाया।
जो भी आया निकट तुम्हारे वत्सल रस बरसाया।
शरणागत को बड़े प्रेम से मात-पिता ज्यों पाला।।

नया मोड़ अभियान बनाया नारी शक्ति जगाई।
दीक्षा से पहले शिक्षा हो, बना प्रबंध वरदाई।
समण श्रेणी का किया प्रवर्तन साहस बड़ा निराला।।

अणुव्रत वाले तुलसी बाबा जग विख्यात कहाए।
मानवता का पाठ पढ़ा अच्छे इंसान बनाए।
तारणहारा रहा तारता वह तुलसी मतवाला।।

अमर बनी हैं जग में अवदानों की अनुपम कृतियाँ।
सद्संस्कार दिए जो गण को पल वल ताजा स्मृतियाँ।
गण विकास हित बाँटा जीवन भर शिक्षामृत प्याला।।

लय: वह भारत देश है मेरा---