साध्वीप्रमुखा मनोनयन के अवसर पर मन के उद्गार

साध्वीप्रमुखा मनोनयन के अवसर पर मन के उद्गार

खुशियां तन मन में हर्षाई।
साध्वी प्रमुखा मनोनयन पर देते सभी बधाई।।

जन्म आपका चंदेरी में मोदी आंगन में खेली।
मात तात सद्संस्कारों की धार्मिक छवि अलबेली।
पुष्ट हुई वैराग्य भावना, भाग्य लता लहराई।।

गुरु तुलसी से दीक्षित शिक्षित स्मित प्रज्ञा बनी समणी।
साध्वी विश्रुत विभा से मुख्य नियोजिका जी मनहरणी
दशमेश महाप्रज्ञ गुरुवर ने अमृत वर्षा बरसाई।।

तीन-तीन गुरुओं की सेवा, अवसर मिला सुनहरा।
गुरु इंगित आराधन से ही विश्वास जमाया गहरा।
महाश्रमण गुरु जन्मभूमि में अद्भुत छटा लगाई।

विनय समर्पण सहनशीलता से जीवन चमकाया।
ज्योतिचरण ने मनोनयन कर, परिकर मान बढ़ाया
करे कामना हम सब मंगल, बाजै यश शहनाई।।

करो शासना युग-युग सुभगे! प्रकटी वर पुण्याई।
काश! पास हम भी होते? करना अब भरपाई।
कलरव करे खुशी से पंछी, आशाएं इठलाई।।