साध्वीप्रमुखा मनोनयन के अवसर पर मन के उद्गार

साध्वीप्रमुखा मनोनयन के अवसर पर मन के उद्गार

परमवंदनीया आदरणीया हमारे नवनिर्वाचित साध्वीप्रमुखाश्रीजी के चरणों में वर्धापना, वंदना अभिवंदना। मैं दीक्षित हुई तब से बहिन कमला-माणक के वैरागी त्यागी जीवन से परिचित हुई। साध्वी चन्द्रलेखाजी और साध्वी सोमप्रभा से आपके परिवार से अधिक निकट हुई हूं। आज का दिन स्वर्णिम दिन है। हम साध्वियों के लिए अन्तर्यामी गुरुदेव ने हमारे दिलों की आवाज सुनी। आपको साध्वीप्रमुखाश्रीजी के रुप में सुशोभित किया। हमारी संयम साधना की संभाल का उत्तरदायित्व दिया।
मैं दीक्षित हुई। मातृहृदया साध्वीप्रमुखा लाडांजी ने वत्सलता दी। बाद में शासन माता की प्रेरणा ने मुझे आगे बढ़ाया। मैं अपने आपको भाग्य-शाली मानती हूं जिन्होंने अपने प्रत्येक श्वास को संघ एवं संघपति के निर्देशानुसार संयम साधना में समर्पित कर रखा है। ऐसी परिचित साध्वी को यगुप्रधान त्रय आचार्यों का विश्वास मिला है। अब वे मेरे भावी विकास एवं सफलता में सहयोगी बनेगी। इसी विश्वास के साथ-