साध्वीप्रमुखा मनोनयन के अवसर पर हृदयोद्गार

साध्वीप्रमुखा मनोनयन के अवसर पर हृदयोद्गार

महाश्रमण की अनुपम प्रज्ञा ने, दिया संघ को नव वरदान।
साध्वी प्रमुखा तुमको पाकर, गण की बढ़ी अतुलनीय शान।।

दीक्षा हुई आपके साथ मेरी, मुझे भी गौरव है इस बात का।
काश! मैं भी होती वहां पर, अभिनंदन करती उस प्रात का।।

धीरता, गंभीरता अरु, वीरता की अनुपम तस्वीर हो।
सहज सरलता आत्मलीनता की, गण की तकदीर हो तुम।।

सच्ची विभा बन पाऊं मैं भी, ऐसा आशीर्वर मुझको दे दो।
मां तेरे चरणों की सेवा कर पाऊं, ऐसा वर मुझको तुम दे दो।।

शम, सम, श्रम की तुम हो, इस जग में अनुपम नजीर।
तेरी शासना में हरपल, ‘कमल विभा’ की जागे तकदीर।।