सदैव गुरुकृपा की दृष्टि होती रहे

सदैव गुरुकृपा की दृष्टि होती रहे

समादरणीया साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभाजी!
परम श्रद्धेय युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने शासनमाता साध्वीप्रमुखाश्री कनकप्रभाजी के स्थान पर साध्वी प्रमुखा के पद पर आपश्री की नियुक्ति की है।
आपने अपनी वैराग्य-संयम यात्रा मुमुक्षु के रूप में शुरू की। समणी, समणी नियोजिका, साध्वी, मुख्य नियोजिका से साध्वी प्रमुखा जैसे अत्यन्त सम्मानजनक, गौरवपूर्ण एवं कार्यकारी पद पर स्थापित हुई है। यह सब गुरुकृपा योग्यता व पुण्यवत्ता का फलित है। आपको तीन-तीन गुरुओं की अनुकंपा प्राप्त हुई है।
साध्वीप्रमुखाश्री! आपके साध्वीप्रमुखा चयन के साथ हमारे दीक्षा दिवस का सहज संयोग जुड़ गया। साथ ही मेरी जन्मभूमि व दीक्षाभूमि सरदारशहर में यह ऐतिहासिक कार्य सम्पन्न हुआ है।
मैं मंगल कामना करता हूं-
- आप पर सदैव गुरुकृपा की दृष्टि होती रहे।
- आपका कार्यकाल यशस्वी रहे।
- आप सर्वतोभावेन स्वस्थ रहे।
- आपकी सक्रियता बनी रहे।