आनन्द-आनन्द-आनन्द

आनन्द-आनन्द-आनन्द

आनन्द-आनन्द-आनन्द
परम आनन्द
हर्षानुभूति की अभिव्यक्ति
किन शब्दों में
क्योंकि भावों के सामने
शब्दों ने ले ली मुक्ति
आचार्य महाप्रज्ञ द्वारा
सम्प्रेषित
आपके भीतर में है
आध्यात्मिक शक्ति
आपकी विरक्ति व गुरु भक्ति
ने लिया आज साकार रूप
इसलिए खोज रहा हूं
आपकी अभ्यर्थना वर्धापना में
अभिव्यक्ति के अनुरूप शब्दों में
भावों का पूर्ण स्वरूप
गर्व है हमें कि
साध्वी समाज के ताज ने
ली आपकी शरण
आचार्य महाश्रमण की कृपा का
आपने किया वरण
आपके नेतृत्व में हम सबको मिले
अध्यात्म और वैराग्य का
पौष्टिक संपोषण
आत्मिक संपोषण
आत्मिक ज्ञान की ग्रंथियों का हो
विमोचन
संघ को मिले आपके अनुभवों का
सत्यं-शिवं-सुंदरं का विमर्षण
परम मुक्ति के पथ का मिले
हमें सम्यक् मार्ग दर्शन
आपके प्रति है मेरा प्रशस्त
आध्यात्मिक भावों का समर्पण
अनन्त अनन्त मंगल भावना।