चेतना को शुद्ध रखने का उपाय है ईमानदारीपूर्ण जीवन: आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

चेतना को शुद्ध रखने का उपाय है ईमानदारीपूर्ण जीवन: आचार्यश्री महाश्रमण

कार्यक्रमनोखा में सकल समाज की तरफ से आचार्यप्रवर से चातुर्मास की पुरजोर अर्ज

नोखा, 5 जून, 2022
परम पावन का नोखा प्रवास का दूसरा दिन। महानंद प्रदाता आचार्यश्री महाश्रमण जी ने पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए फरमाया कि आदमी के जीवन में प्रामाणिकता, ईमानदारी, पारदर्शिता का बहुत महत्त्व है। चेतना को शुद्ध रखने का एक आयाम-उपाय है, आदमी ईमानदारीपूर्ण जीवन जीए। अध्यात्म की साधना के क्षेत्र में सम्यक्त्व का भी बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान है। कहा गया है कि सम्यक्त्व ऐसा मित्र है, उससे बड़ा कोई मित्र नहीं। सम्यक्त्व से बड़ा कोई रत्न बंधु-भाई नहीं है। सम्यक्त्व से बड़ा कोई लाभ नहीं होता है। सम्यक्त्व के बिना चारित्र भी नहीं हो सकता। चारित्र के बिना सम्यक्त्व रह सकता है, पर चारित्र को सम्यक्त्व की गरज है। सम्यक्त्व रत्न की सुरक्षा करो। सम्यक्त्व जैसे बंधु के सामने राम-लक्ष्मण की जोड़ी कुछ भी महत्त्व नहीं रखते। गृहस्थ को भी जीवन में पैसे-परिग्रह के प्रति भी अवांछनीय आसक्ति न हो।
परिग्रह ऐसी चीज है, जो प्रेम को भी तोड़ने में समर्थ होता है। सम्यक्त्व-चारित्र धर्म ऐसी चीजें हैं, जो हमारी चेतना को निर्मल बनाने वाली होती है। सच्ची बात, अच्छी बात कहीं पर मिले, उसे ग्रहण कर लेना चाहिए। सम्यक्त्व पुष्टि के लिए दूसरी बात है कि तत्त्व बोध का प्रयास करें। तीसरी बात है-कषायमंदता। राग-द्वेष व क्रोध, मान-माया, लोभ प्रतनू रहे, शांत रहे। कोई बात का दुराग्रह न हो। सच्चाई जहाँ मिले वहाँ दुराग्रह बीच में न आए। सच्चाई के आकाश में उड़ने के लिए अनाग्रह और खोज इस पक्षी के दोनों पंख होने चाहिए। अन्वेषण से तत्त्व की प्राप्ति हो सकती है। धर्म का क्षेत्र हो या व्यवहार का क्षेत्र उसमें सच्चाई खोजने का प्रयास करें। यह आत्मा के लिए श्रेयस्कर हो सकता है।
चाहे समाजनीति हो या राजनीति सब जगह सद्विचार-सदाचार अच्छा रहता है। विचार भी उन्नत रहे। आचार भी अच्छा रहे। गृहस्थ जीवन भी अच्छा रहे। नोखा मंडी प्रवास का यह दूसरा दिन है। आज अर्जुनराम मेघवाल का भी आना हो गया। पुराने संपर्क में आए हुए हैं, राजनीति भी एक उच्च कोटि की सेवा है। इसमें अणुव्रत व सदाचार, सद्विचार भी रहे। जैविभा इंस्टीट्यूट से भी जुड़े हुए हैं। शासन गौरव साध्वी राजीमती जी भी यहाँ विराज रही हैं। वे साधना से, चिंतन से भी वरिष्ठ हैं। चरित्र और आयु से भी वरिष्ठ हैं। साधना करने में आपकी ख्याति रही है। लोगों को समझाना भी परोपकार का काम है। आपके चित्त समाधि रहे। धर्म व धर्मसंघ की प्रभावना करती रहे। ज्ञानशाला प्रस्तुति पर पूज्यप्रवर ने फरमाया कि ज्ञानशाला की कई प्रस्तुतियाँ हुई। ज्ञानशाला एक उपयोगी उपक्रम है। जहाँ बालपीढ़ी का अच्छा निर्माण हो सकता है। बच्चों पर श्रम करके तैयारी करवाई गई है। बाल पीढ़ी में तत्त्वज्ञान का भी विकास होता रहे। पूज्यप्रवर ने सम्यक्त्व दीक्षा ग्रहण करवाई। आचार्य महाप्रज्ञ नोलेज सेंटर नोखा में पूज्यप्रवर के मंगलपाठ से शुरू हो रहा है। परम पावन ने आशीर्वचन फरमाया।
पूज्यप्रवर ने नोखा चतुर्मास करने के संदर्भ में फरमाया कि 2023 में मुंबई जाना है। वापस राजस्थान कब आना यह तय नहीं है। बीदासर-मोमासर के बाद आपकी बात आती है। इतना अभी आगे के लिए वचनबद्ध होना मुश्किल है। संपर्क बना रहे। साध्वीवर्या जी ने कहा कि संघ हमारे जीवन का आधार होता है। संघ शक्ति का स्रोत होता है। जब तक हम संघ से जुड़े रहते हैं, तब तक विकास होता है। साधु-साध्वी, श्रावक-श्राविका संघ के अंग होते हैं। उनका विकास भी संघ से जुड़ा रहता है। तब हो सकता है। श्रावक की विशेषताओं को बताया। श्रावक श्रद्धाशील हो, विश्वासी हो, त्याग की भावना हो। शासन गौरव साध्वी राजीमती जी, शासनश्री साध्वी समताश्री जी, साध्वी कुसुमप्रभाजी, साध्वी सिद्धांतप्रभाजी, साध्वी विकासप्रभाजी, मुनि मनन कुमार जी, मुनि जितेंद्र कुमार जी ने अपनी भावना अभिव्यक्त की।
पूज्यप्रवर के स्वागत में केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल, डॉ0 प्रेमसुख मरोठी, भंवरलाल बैद, भोजराज बैद, कमल किशोर ललवाणी, इंद्रचंद बैद, टीपीएफ से डॉ0 महेंद्र संचेती, महावीर नाहटा, ज्ञानशाला, तेरापंथ महिला मंडल, कन्या मंडल ने अपनी भावना अभिव्यक्त की। डॉ0 प्रेमसुख मरोठी की जीवन-वृत्त देहरी का दीपक श्रीचरणों में लोकार्पित किया गया। प्रगति मरोठी ने दीक्षा लेने की भावना अभिव्यक्त की। लाभचंद छाजेड़ ने आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।