अभिनंदन करती हूँ

अभिनंदन करती हूँ

अभिनंदन करती हूँ श्रद्धा के निर्मल नीर का।
अभिनंदन करती हूँ श्रम की तस्वीर का।
नवमी साध्वी प्रमुखाश्री जी को देती हूँ सौ-सौ बधाई।
अभिनंदन करती हूँ संयम की समीर का।।1।।

पुष्करावर्त महामेघ बनकर गुरुवर ने की अमृत बरसात।
मुख्य नियोजिकाजी बन गए पल में साध्वीप्रमुखाजी साक्षात्।
करती हूँ अभिनंदन भावों के गुलदस्ते से।
श्रमणी गण को शिखर चढ़ाओ और उगाओ नया प्रभात।।2।।

पुरुषार्थ की मंदाकिनी का अभिनंदन करती हूँ।
गण बगिया में महकते चंदन का अभिनंदन करती हूँ।
संस्कृति की शान हो श्रमणी गण में पहचान हो।
तहे दिल से नव मनोनीत साध्वी प्रमुखाश्री जी का अभिनंदन करती हूँ।।3।।

कलाकार ने मनहर मूरत का आकार दिया है।
प्राण प्रतिष्ठा की गुरुवर ने सबने शीष चढ़ा लिया है।
बूँद ने किया समर्पण जब प्रशांत महासागर में।
बना कीमती मोती संघ समंदर का सबने सम्मान दिया है।।4।।

नवमी साध्वीप्रमुखाश्री जी नव युग की शुरुआत है।
भाग्य के आकाश में परम पुरुषार्थ का प्रभाव है।
रहो निरामय बनो सुधामय श्रमणी गण सिणगार।
गुरुइंगित से कार्य कराओ और नई बनाओ ख्यात।।5।।