युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी की षष्टिपूर्ति के अवसर पर

युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी की षष्टिपूर्ति के अवसर पर

सदा जय हो, सर्वदा विजय हो।
जयतु युगद्रष्टा प्रभु, जयतु युगस्रष्टा।।

शान्तिदूत तपः पुत शुभ तेरी साधना।
नेमासपूत शुद्ध संयम आराधना।
संकट-भय की स्थितियों में भी रहते निर्भय हो।।

ज्ञानवान क्षमावान करुणा निधान हो।
मेरे भगवान जैन शासन की शान हो।
शिष्य तुम्हारी गरिमा महिमा गाएं लयमय हो।।

जन्म, दीक्षा, पदारोहण पर्व सुखदाई।
मानों वैशाख साख तुमने बढ़ाई।
षष्टिपूर्ति जन्मधरा पर ध्याएं तन्मय हो।।
युगप्रधान को जन्मधरा पर ध्याएं तन्मय हो।।

लय - तुम्हें वन्दना---