पावरफुल व्यक्तित्व का सफर

पावरफुल व्यक्तित्व का सफर

साध्वीप्रमुखाश्री मनोनयन पर विशेष

साढ़े पाँच सौ साध्वियों बीच स्वयं को साध्वीप्रमुखा के ओहदे पर काबिज करना पावरफुल व्यक्तित्व पहचान है। भैक्षव शासन में एक गुरु-एक विधान (अनुशासन) की स्वस्थ परंपरा है। इत्तफाक से इस गरिमापूर्ण पद की पंक्ति में अर्हतापूर्वक स्वयं को खड़ा करना हर एक साध्वी के लिए खुला अवकाश है। अवकाश और योग्यता में घनिष्ट संबंध है। जिनके ऊँचे सपने, प्रखर भाग्य और भोग्य पुरुषार्थ होता है वो ही पद पर सुशोभित होते हैं। इस त्रिपदी की अधिष्ठातृ नवनिर्वाचित, साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभाजी को अनंतसह हार्दिक शुभकामनाएँ। मंगल बधाई।
प्रबुद्ध शैषव-
लाडनूं की लाडली का बचपन बड़ा ही सुखद और मनहारी रहा। क्यों न हो? सौभाग्य की संपदा साथ जो लाई। मोदीकुल में विरासत विरासत के बतौर मिले सद्संस्कार बालिका के विकास में योगभूत बने। परिवार के छोटे-बड़े सभी सदस्यों की बालिका सरोज चहेती और आकर्षण का केंद्र बनी। खेल-कूद की उम्र में ही विनम्रता, जागरूकता, अप्रमत्तता और अनुशासनप्रियता की झलक देखी गई।
फौलादी संकल्प-
अनेक जन्मों के पुण्योदय से मानव जीवन को सार्थक बनाने का फौलादी संकल्प प्राणवान बना। आत्मा के शाश्वत स्वरूप के दर्शन की प्यास तीव्र बनी। उसी खोज में किशोरावस्था में ही सरोज ने जैन संन्यास के पथ का चयन किया। समुचित प्रेरणा पाथेय पाकर साधना की प्रथम प्रयोग स्थली पारमार्थिक शिक्षण संस्था में प्रवेश किया। मुमुक्षु सविता के रूप में पा0शि0 संस्था में लगभग छः वर्षों तक शिक्षण-प्रशिक्षण प्राप्त किया। मुमुक्षु अवस्था में सुदूर प्रांतों की यात्राएँ कीं।
समण श्रेणी में चरन्यास-
अणुव्रत अनुशास्ता आचार्यश्री तुलसी के क्रांतिकारी अवदानों की एक मिशाल है-समण श्रेणी। इस साहसी शुरुआत की अग्रिम पंक्ति में मुमुक्षु सविता ने अपने को समर्पित किया। छः समणियों में मुमुक्षु सविता समणी स्मितप्रज्ञा बनीं। प्रारंभ से ही आपकी सोच और कार्यशैली पॉजिटिव और पावरफुल रही। गुरुकृपा से समण श्रेणी की प्रथम समणी नियोजिका बनें। यह भी कम सौभाग्य की बात नहीं कि हमउम्र सदस्यों में आपको श्रेणीप्रमुख बनाया गया। शक्ति जागरण का समुचित परिवेश आपके लिए वरदान सिद्ध हुआ। देश-विदेश की अनेक यात्राएँ कर जिनशासन की प्रभावना की। जहाँ भी गए गुरु का नाम रोशन किया।
श्रेणी आरोहण सह वरदान-
भविष्यद्रष्टा आचार्यश्री तुलसी ने आपके भीतर छिपी संभावनाओं को विराट् रूप दिया। समणी स्मितप्रज्ञा को साध्वी विश्रुतविभा बनाया। सौभाग्यवश गुरुकृपा से नाम में ही प्रसिद्धि का वरदान गुम्फित हो गया।
कसौटी पर खरी उतरी-
पूज्यवरों के वात्सल्यपूर्ण नेतृत्व की छाँह तले फलने-फूलने का अवसर मिला। कर्तृत्व का करिश्मा कसौटियों में निखरता गया। गुलाब के खिलने से पूर्व दसों बाँटें चुनौती बन जाते हैं। निःसंदेह खिलने वाले गुलाब के फूल का प्रबल पराक्रम और फौलादी संकल्प होता है। वो सभी काँटों के बीच मनमोहक सुगंध लिए खिल उठता है। संभव है कुछ ऐसी ही कसौटियों से गुजरने का अनुभव मुख्य नियोजिका साध्वी विश्रुतविभाजी को भी हुआ होगा। कुछ भी हो आपके बुलंद हौंसले से कवि की ये पंक्तियाँ सार्थक हुई-

मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है।
परों से कुछ नहीं होता, हौंसलों से उड़ान होती है।।

पुण्योदय से गुरुकृपा का सुरक्षा कवच आपकी राहों को निष्कंटक बनाता गया। जन्मपत्री के मुताबिक गुरुकृपा का प्रबल योग बना रहेगा। व्यवहार के धरातल पर भी इसे आँका जा सकता है। गुरु तुलसी की कृपादृष्टि से संयम रत्न मिला। प्रज्ञासुमेरु आचार्य महाप्रज्ञ जी की शुभदृष्टि से आध्यात्मिक विकास के नए क्षितिज उद्घाटित हुए। इत्तफाक से युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण जी की कसौटी पर भी आप खरी उतरी।
साध्वीप्रमुखा पद पर सुशोभित-
महातपस्वी पूज्यप्रवर आचार्यश्री महाश्रमणजी ने गुरुद्वय से संपोषित मुख्य नियोजिकाजी साध्वी विश्रुतविभाजी की क्षमताओं का अंकन किया। पूज्यप्रवर के शब्दों में-मुझे तो आचार्यश्री महाप्रज्ञजी द्वारा तैयार की हुई साध्वीप्रमुखा विरासत में मिल गई। विरासत का मूल्यांकन करना गुरुदेवश्री की दिव्यदृष्टि और अद्म्य साहस का द्योतक है। पूज्यप्रवर के हर निर्णय में प्रौढ़ता के दर्शन होते हैं।
साध्वीप्रमुखा चयन की अनुशंसा और प्रशंसा में लाखों लोग मुखरित हो उठे। चतुर्विध धर्मसंघ में प्रसन्नता की लहर व्याप गई। पूज्यप्रवर के इस चयन को सभी ने पलकों में बिठाया है। आशा है शासनमाता साध्वीप्रमुखाश्री कनकप्रभाजी की सभी विशेषताओं का अनुगमन करते हुए नवनिर्वाचित साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभाजी अपनी विशिष्ट पहचान बनाएँगे।
सादर समर्पित है चतुर्विध धर्मसंघ सह आत्मीय शुभकामनाएँ-

दिली ख्वाबों से दुआ करते हैं आज।
हे सतिशेखरे! हर दिल पर करो आप राज।।