युगप्रधान, षष्टिपूर्ति, साध्वीप्रमुखा वर्धापन कार्यक्रम

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युगप्रधान, षष्टिपूर्ति, साध्वीप्रमुखा वर्धापन कार्यक्रम

दादर।
शासनश्री साध्वी सोमलता जी के सान्निध्य में ‘तिरंगा’ कार्यक्रम आयोजित हुआ। इस कार्यक्रम के अंतर्गत गण सम्राट के षष्टिपूर्ति व युगप्रधान अभ्यर्थना व नव निर्वाचित साध्वीप्रमुखा के वर्धापन पर साध्वीवृंद व दादर के श्रावक-श्राविकाओं ने प्रभु महिमा का कीर्तन किया। कार्यक्रम का शुभारंभ मधुर संगान के साथ हुआ। सभा के अध्यक्ष गणपत मारू ने अपने विचार रखे। महिला मंडल ने गीत गाया। शासनश्री साध्वी सोमलता जी ने युगनायक के व्यक्तित्व व कर्तृत्व का विश्लेषण किया।
जिनके मुखमंडल पर सहज मुस्कान है, प्रसन्नता है। जिनके दिल में करुणा का भाव है। जिनके नयनों में वत्सलता है। जिनकी वाणी में अमृत है। जिनकी इंद्रियाँ परोपकार में लगी हुई हैं-ऐसे वंदनीय आचार्यश्री महाश्रमण जी शक्तिपुंज हैं। आपश्री की चिंतनशैली प्रशस्त है। प्रशासन शैली विलक्षण है। नवनिर्वाचित साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभा जी का वर्धापन करते हुए कहा-अनुशासनप्रिय, अप्रमत्त, मौनी, तपस्वी साध्वी विश्रुतविभाजी अपने प्रबल भाग्योदय से मुमुक्षु सविता से समणी नियोजिका, मुख्य नियोजिका रही। आज गुरु कृपा से मुख्य नियोजिका से साध्वीप्रमुखा पद पर प्रतिष्ठित हुई हैं
आपके मस्तक पर आचार्य महाप्रज्ञजी व आचार्य महाश्रमण जी का वरदहस्त रहा हैं जिससे आप एक बूँद से मोती बन गई। यह है गुरु की असीम कृपा का प्रतिफल। मंगलकामना करते हैं आपश्री गुरुदेव के इंगितानुसार हमारा पथ दर्शन करती रहें। साध्वी शकुंतला कुमारी जी, साध्वी जागृतप्रभाजी ने युगप्रधान गुरुदेव की अर्चना की। साध्वी रक्षितयशाजी ने षष्टिपूर्ति पर गण नायक को संकल्प का उपहार दिया व साध्वीप्रमुखाश्रीजी का स्वर-लहरियों से वर्धापित किया। पुष्पा संजु, कुसुम, कमला, पुष्पा ने मधुर गीत गाया। कार्यक्रम का संचालन साध्वी संचितयशाजी ने किया। कार्यक्रम में विशिष्ट श्रावकों की उपस्थिति रही।