अर्हम्

अर्हम्

दायित्व चदरिया ओढ़ी हो तुम,
महाश्रमण कृपा वरदाई हो तुम---

हे नवम् नव्य साध्वीप्रमुखा,
गुरु दृष्टि प्राप्य साध्वीप्रमुखा,
तेरापथ भिक्षु संघ प्रमुखा,
जय विश्रुत श्रुत साध्वीप्रमुखा---।।
दायित्व चदरिया---

गुरु तुलसी की महर नजर पा समण श्रेणी की नींव बनी।
थाम लगाम हाथ में तुमने, समण श्रेणी की रीढ़ बनी,
महाप्रज्ञ महाश्रमण ध्यान से, दुर्लभ ऐसी चीज बनी,
महाश्रमण महादृष्टि सृष्टि से, सति शिखर की ताज बनी,
करें वर्धापन महासतीवरं, तुम चित्त समाधि दागीवरं,
अभिनंदन वंदन कोटि नमन, तुम सति संघ की हो शरणन।।
दायित्व चदरिया---

ज्ञान ध्यान की शुभ ज्योत्सना, फैली देश-विदेशों में,
बौद्धिक आध्यात्मिक प्रतिभा की छाप अनोखी जन-जन में,
कुशल व्यवस्था, श्रेष्ठ तपस्या, चिंतन-मंथन ग्रंथन में,
संघ सुरक्षा, करे चिकित्सा, मिटे समस्या गणवन में,
यह सुदी चवदसी वैशाखी, गणनाथ ने खुशियाँ भर बाँटी,
शासनमाता अतिशय राजी।
दिव्य देव दुंदुभि भी बाजी।।

लय: आज उनसे मिलना---