वर्षीतप करने वाले विशिष्ट निर्जरार्थी होते हैं

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वर्षीतप करने वाले विशिष्ट निर्जरार्थी होते हैं

बालोतरा।
भारतीय संस्कृति के पुरोधा भगवान ऋषभ के 13 मासीय वर्षी तप के उपलक्ष्य में जैन परंपरा में वर्षी तप का क्रम प्रारंभ हुआ। अक्षय तृतीया के अवसर पर साधु-साध्वी, श्रावक-श्राविकाओं ने मुनि मोहजीत कुमार जी, शासनश्री साध्वी सत्यप्रमोदजी के सान्निध्य में वर्षों से तथा प्रथम वर्षीतप करने वालों में इक्षु रस से पारणा किया। इस अवसर पर मुनि मोहजीत कुमार जी ने कहा कि वर्षीतप करने वाले विशिष्ट निर्जरार्थी होते हैं। प्रथम वर्षीतप करने वाले मुनि भव्य कुमार जी ने गुरुवर के प्रति कृतज्ञता प्रकट की। मुनि जयेश कुमार जी ने ऋषभ के जीवन-दर्शन को प्रस्तुत करते हुए गीत का संगान किया।
अक्षय तृतीया महोत्सव पर ओ0पी0 जैन, (आईएएस) ने भी वर्षीतप करने वालों की अनुमोदना की। सिवांची-मालाणी संस्थान के अध्यक्ष नेमीचंद ने सभी का स्वागत करते हुए तपस्वियों की मंगलकामना करते हुए अनुमोदना की। वर्षीतप पारणा पर स्वर संगम द्वारा गीत की प्रस्तुति की। ज्ञानशाला के बच्चों द्वारा प्रेरणा संवाद किया गया। वर्षीतप पारणा कार्यक्रम के सहयोगी मदनलाल, हीरालाल बने। कार्यक्रम का संचालन गौतम वैद ने किया।