जैन तपस्वी करते हैं वर्षीतप की आराधना

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जैन तपस्वी करते हैं वर्षीतप की आराधना

अक्षय तृतीया महोत्सव का आयोजन

जोधपुर।
तेरापंथ समाज, जोधपुर द्वारा भारत वर्ष के महत्त्वपूर्ण पर्व अक्षय तृतीया का आयोजन किया गया। शासनश्री साध्वी कमलाप्रभाजी, शासनश्री साध्वी सत्यप्रभाजी, शासनश्री साध्वी कुंथुश्री जी आदि व साध्वी जिनबाला जी के सान्निध्य में आयोजित इस कार्यक्रम का आयोजन तेरापंथी सभा, सरदारपुरा व जोधपुर के संयुक्त आयोजना में किया गया। अक्षय तृतीया के अवसर पर तेरापंथ भवन अमरनगर में आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ साध्वीवृंद के द्वारा नमस्कार महामंत्र के उच्चारण से हुआ। अरणी महाराष्ट्र से समागत नूतन, भूमि, पिंकी, चंदन छल्लाणी ने कार्यक्रम का मंगलाचरण मंगल गीत द्वारा किया। स्वागत वक्तव्य तेरापंथ सभा, सरदारपुरा अध्यक्ष मानकचंद तातेड़ ने किया। साध्वी शशिप्रभाजी ने अपनी अभिवंदना में कहा कि भगवान ऋषभ नाभि राजा व माता मरुदेवा के पुत्र थे। ऋषभदेव के पुत्र भरत के नाम पर इस देश का नाम भारत पड़ा। साध्वी करुणाप्रभाजी ने बताया कि साधारण व्यक्ति में जन्म के समय मति और श्रुत दो ज्ञान होते हैं। भगवान ऋषभ जन्म से ही अवधि ज्ञान सहित तीन ज्ञान के धनी थे। उन्होंने मानव जाति के लिए असि, मसि और कृषि का सूत्र दिया। वे इस कर्मयुग के प्रथम राजा बने और तप और साधना कर मोक्ष का वरण किया। आज मेरी मातुश्री के वर्षीतप का पारणा है, तपस्या आपके जीवन का नियमित क्रम है। आपकी तपस्या के प्रति मंगलकामना। साध्वी महकप्रभाजी ने गीत का गान कर अभिवंदना की।
साध्वीवृंद द्वारा गीत का संगान किया गया। तेयुप, सरदारपुरा व जोधपुर के सदस्यों, महिला मंडल द्वारा गीत व सुशील पारख, रांका परिवार ने गीत द्वारा अक्षय तृतीया पर्व और तपस्या का महत्त्व रखा। तेममं, सरदारपुरा अध्यक्ष सरिता कांकरिया, गंगाशहर से समागत ममता रांका, महिला मंडल, जाटाबास से मंजुला मेहता, प्रियंका गंग, मधु सांड, खुशी जैन ने तपस्वियों के तप की अनुमोदना की। वर्षीतप आराधक रीना चौधरी ने प्रथम वर्षीतप का अनुभव बताया। सभा मंत्री महावीर चोपड़ा ने तपस्वी भाई-बहनों का आभार ज्ञापन किया। साध्वी शताब्दीप्रभाजी ने कहा जिस प्रकार क्षीर सागर को कटोरे में भरा, मेरु को इंचीटेप से नापना संभव नहीं वैसे ही भगवान ऋषभदेव के जीवन को शब्दों में समाना संभव नहीं। साध्वी जिनबाला जी ने कहा कि अक्षय तृतीया के रूप में मनाए जाने वाले इस पर्व का जैन परंपरा का प्रथम तीर्थंकर से संबंध है।
शासनश्री साध्वी कुंथुश्री जी ने कहा कि भगवान ऋषभ के समय यौगलिक व्यवस्था थी। लोग सहज और शांत थे। सरल जीवनशैली थी। इच्छा और आकांक्षाएँ कम थीं। शासनश्री साध्वी कमलप्रभाजी ने कहा कि आज का पर्व प्रसन्नता का पर्व है। आज प्रसन्नता इस कारण भी है कि इतने संख्या में साध्वियों का मिलन हुआ है। भगवान ऋषभ ने विसर्जन का सूत्र दिया। जैन संस्कार

विधि से वर्षीतप आराधकों का तप संपूर्ण अनुष्ठान

इस अवसर पर तेयुप के जैन संस्कारकों द्वारा अभातेयुप के उपक्रम जैन संस्कार विधि से सभी तप आराधकों का पारणा कराया गया। इस अवसर पर मुख्य संस्कारक अभातेयुप के राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्रेयांस कोठारी के नेतृत्व में सहयोगी संस्कारक तेयुप मंत्री कैलाश तातेड़, जितेंद्र गोगड़, निर्मल छल्लाणी व ऋषभ श्यामसुखा आदि ने मंगल मंत्रोच्चारों द्वारा तप आराधकों को पारणा करवाया। इस अवसर पर निकी देवी छाजेड़ ने अपने सत्रहवें, छगनी देवी सांड ने अपने आठवें, विमला देवी रांका ने दूसरे, रानी देवी जैन ने प्रथम, पन्नालाल कागोत ने पाँचवें, अशोक सुराणा ने तेरहवें उपवास वर्षीतप का पारणा जैन लोगस्स पाठ, ग्रह शांति मंत्र व मंगलभावना मंत्रों का उच्चारण कर किया। वहीं अशोक छल्लाणी ने अपने आठवें व कमला देवी चौधरी ने अपने एकासन वर्षीतप का पारणा जैन संस्कार विधि से किया।
इस अवसर पर महासभा उपाध्यक्ष विजयराज मेहता, अभातेयुप राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्रेयांस कोठारी, अभातेयुप कार्यसमिति सदस्य कैलाश जैन, तेयुप अध्यक्ष महावीर चौधरी, तेयुप जोधपुर, अध्यक्ष मितेश जैन, महिला मंडल अध्यक्षा सरिता कांकरिया, टीपीएफ अध्यक्ष पवन कुमार बोथरा, वरिष्ठ श्रावक उम्मेदमल सिंघवी, कार्यक्रम प्रायोजक पन्नालाल कागोत, सभा अध्यक्ष माणकचंद तातेड़, सभा मंत्री महावीर चोपड़ा, अणुव्रत समिति अध्यक्ष सुधा भंसाली आदि के साथ जोधपुर श्रावक समाज, गंगाशहर, नोखा व अरणी महाराष्ट्र से समागत तप आराधकों के पारिवारीकजन की उपस्थिति रही। कार्यक्रम के प्रायोजक रतनलाल, पन्नालाल, अशोक कुमार, हेमंत कुमार कागोत परिवार का सम्मान किया गया। महिलाओं ने मंगल गीतों द्वारा तपस्वियों का बहुमान किया गया।
तप अभिनंदन पत्र का वाचन और कार्यक्रम का संचालन तेयुप, जोधपुर अध्यक्ष मितेश जैन ने किया।