बहुश्रुत पर्युपासना कर अपने ज्ञान में अभिवृद्धि करें: आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

बहुश्रुत पर्युपासना कर अपने ज्ञान में अभिवृद्धि करें: आचार्यश्री महाश्रमण

राजासर, 18 मई, 2022
जन-जन को पवित्रता की प्रेरणा देने वाले आचार्यश्री महाश्रमण जी आज प्रातः लगभग 12ः3 किमी का विहार कर राजासर के सामसुखा फार्म हाउस पधारे। मंगल प्रेरणा पाथेय प्रदान करते हुए परम पावन ने फरमाया कि शास्त्र में कहा गया है कि बहुश्रुत की पर्युपासना करनी चाहिए। प्रश्न करें, अर्थ का विनिश्चय करें। बहुश्रुत बहुत बड़ा व्यक्तित्व होता हैं आचार्य, उपाध्याय या जो शास्त्रज्ञ, धर्म-मर्मज्ञ है, ऐसे बहुश्रुत की उपासना करनी चाहिए। उनसे ज्ञान लेने का प्रयास करना चाहिए, क्योंकि श्रमण धर्म है, उसके द्वारा ईहलोक और परलोक का भी हित होता है और सुगति की भी प्राप्ति होती है। श्रमण धर्म बड़ा कीमती तत्त्व है। उसका ज्ञान बहुश्रुत से मिल सकता है। वर्तमान में यहाँ तीर्थंकर तो साक्षात नहीं है, पर वैसे लोक में तीर्थंकर हमेशा रहते हैं। तीर्थंकर की परंपरा में आचार्य- उपाध्याय, साधु जो बहुश्रुत है, उनसे ज्ञान ग्रहण करो।
श्रमण धर्म से आत्मा का कल्याण होता है। ज्ञानी साधु हो, जिसमें साधना भी है और ज्ञान भी है, समझाने की समता रखता है, ऐसा बहुश्रुत मिल जाए तो उनसे प्रश्न भी किया जा सकता है और तत्त्व का विनिश्चय भी हो सकता है, यह एक प्रसंग से समझाया कि मुझे वो पारसमणी दे दो जिससे आत्मा रूपी लोहा सोना बन जाए। बहुश्रत से ज्ञान मिल गया और आत्मा के कल्याण में स्थित हो गया। बहुश्रुत की पर्युपासना से अध्यात्म ज्ञान की ऐसी रश्मियाँ प्राप्त हो जाए, जिनसे हमारी चेतना प्रकाशित हो सके। आचार्य भिक्षु ने कितनों को ज्ञान देने का प्रयास किया होगा। पूरी-पूरी रात ज्ञान देने में बिता दी। आचार्य तुलसी और आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी ने कितना श्रम किया होगा। ज्ञानी पुरुष से कुछ प्राप्त हो सके, ऐसा प्रयास करना चाहिए। इसलिए शास्त्रकार ने कहा है कि बहुश्रुत की पर्युपासना करो।
आज मुनि शुभंकर के नातिलों के स्थान पर आए हैं। इनकी दीक्षा 2010 में सरदारशहर में हुई थी। सामसुखा परिवार में अध्यात्म की भावना अच्छी रहे। मुनि शुभंकर जी ने पूज्यप्रवर की अभिवंदना में कृतज्ञता ज्ञापित की। राजकुमार व संगीता सामसुखा ने अपनी भावना अभिव्यक्त करते हुए पूज्यप्रवर की कृतज्ञता ज्ञापित की। कालू महिला मंडल, कन्या मंडल ने प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का संचालन करते हुए मुनि दिनेश कुमार जी ने समझाया कि सही दिशा में गति हो तो मंजिल मिल सकती है।