अर्हम्

अर्हम्

शासनश्री के चरणों वंदन-वंदन है।
अनशनमय शुभ जीवन का अभिनंदन है।।

गुरु तुलसी चरणों आए, संयम सौरभ महकाये।
दिन शरद् पूर्णिमा भाये, मन में उल्लास जगायें।
सतिवर वंदन है।।

किस्तुरांजी का संरक्षण, पाया ऊर्जामय प्रशिक्षण।
सत्संस्कारों का शिक्षण, पल-पल बना था विलक्षण।
भाग्य का चंदन है।।

अध्ययन, लेखन अरु प्रवचन, जप, तप को करें नमन मन।
था सुंदर समय प्रबंधन, जागृत जीवन का क्षण-क्षण।
गण वन नंदन है।।

उजली काया, उजला मन, सबके सह था अपनापन।
गण, गुरु निष्ठा थी अनुपम, ऋजुता, मृदुता को वंदन।
भक्ति का स्पंदन है।।

समता को शीष झुकाएँ, तेरी सहज सरलता भाएँ।
गण फुलवारी, विकसाएँ, जय हो जय गीत सुनाएँ।
महके गण गुलशन है।।

गण का गौरव नित गाती, प्रमुदित मन गीत रचाती।
जीवन की बाजी जीती, नित शांत-सुधारस पीती।
कण-कण पुलकन है।।

रचती आस्था रंगोली, देती शिक्षा अनमोली।
भरती खुशियों की झोली, मिश्री ज्यों मीठी बोली।
चरणों वंदन है।।

गुरुत्रय का आशीष पाया, पथ आत्मशुद्धि का भाया।
भैक्षव गण का शुभ साया, लक्षित मंजिल को पाया।
श्रद्धा का स्पंदन है।।

लय: महावीर का नाम---