संघ में खुशियाँ अपरंपार

संघ में खुशियाँ अपरंपार

संघ में खुशियाँ अपरंपार।
युगप्रधान अभिवादन का दिन लाया नई बहार।।

मुनि सुमेर से दीक्षा लेकर
तुलसी गुरु से स्नेह प्राप्त कर
महाप्रज्ञ से शिक्षण पाकर
बढ़ते रहे तीव्र गति से तुम विद्या में हरबार।।

प्रज्ञावान बने अतिभारी
तेरापथ की खिल रही क्यारी
शासन में है महिमा न्यारी
निर्मल प्रतिभा देख तुम्हारी विस्मित है संसार।।

युगों-युगों तक अमर रहो तुम
जगती का संताप हरो तुम
दिनकर बनकर खूब तपो तुम
कोटि दिवाली राज करो तुम पग-पग जय-जयकार।।

भैक्षव गण में अभिनव पुलकन
नभ से अमृत का अभिवर्षण
हर्षित है धरती का कण-कण
दीक्षा महोत्सव आज मनाएँ ओ शासन शंृगार।।

लय: जगाया तुमको कितनी बार---