अनेकांत के उद्गाता थे - भगवान महावीर

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अनेकांत के उद्गाता थे - भगवान महावीर

कांदिवली।
शासनश्री साध्वी जिनरेखाजी एवं साध्वी राकेश कुमारी जी के सान्निध्य में भगवान महावीर का जन्मोत्सव मनाया गया। जिसकी मंगल शुरुआत साध्वीश्री जी के मंगल मंत्रोच्चार से हुई। साध्वी राकेश कुमारी जी ने कहा कि कुंडलपुर की उस दिव्य धरा पर महाराज सिद्धार्थ महारानी त्रिशला की कुक्षी से एक ऐसे प्रकाश पुंज का अवतरण हुआ जो जन-जन के तारणहार बन गए। भगवान महावीर अहिंसा, समता के पुजारी थे।
शासनश्री साध्वी जिनरेखाजी ने कहा कि भगवान महावीर जैन परंपरा के 24वें तीर्थंकर थे। भगवान महावीर के पास दो हथियार थे। तपस्या और ज्ञान। फिर भी वह विचलित नहीं हुए। साध्वी श्वेतप्रभाजी, साध्वी मधुरयशाजी, साध्वी विपुलयशाजी ने अपने वक्तव्य और कविता के माध्यम से भगवान महावीर के कर्तृत्व व व्यक्तित्व पर अपने विचारों की अभिव्यक्ति दी। कांदिवली संयोजिका नीतू ने अपने भावों की अभिव्यक्ति दी। साध्वीवृंद की सामुहिक गीत की प्रस्तुति हुई। मालाड ज्ञानशाला के बच्चों द्वारा गीत की प्रस्तुति हुई। भारती सेठिया ने गीत प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में महिला मंडल अध्यक्षा, प्रेक्षाप्राध्यापक पारस दुगड़, उपासिका विमला दुगड़, लीला देवी सालेचा, मनीष रांका, मालाड के गौतम मूथा ने भावों की अभिव्यक्ति दी। मालाड और कांदिवली के तेयुप ने गीत की प्रस्तुति दी। तुलसी फाउंडेशन के अध्यक्ष के0एल0 परमार ने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन छत्र कुमार खटेड़ ने किया। मालाड के मंत्री ने आभार ज्ञापन किया।