समर्पण के महासुमेरु थे आचार्य महाप्रज्ञ

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समर्पण के महासुमेरु थे आचार्य महाप्रज्ञ

किलपॉक, चेन्नई।
साध्वी डॉ0 मंगलप्रज्ञाजी के सान्निध्य एवं तेरापंथ सभा के तत्त्वावधान में आचार्यश्री महाप्रज्ञ की तेरहवीं वार्षिक पुण्यतिथि पर भावांजलि कार्यक्रम पुखराज बड़ोला के निवास स्थान पर मनाया गया। साध्वी मंगलप्रज्ञा जी ने आचार्यश्री महाप्रज्ञजी से जुड़े अनेक प्रेरक और श्रवणप्रिय घटना प्रसंगों का उल्लेख करते हुए कहा कि आचार्यश्री महाप्रज्ञ अनेक गुणों के महापुंज थे। जन-जन के आदर्श थे। वे ऐसे प्रज्ञापुरुष थे जिन्होंने दर्शन, ज्ञान, योग, आगम आदि के द्वारा युग को, नया बोध दिया, नई दिशा प्रदान की।
साध्वीश्री जी ने कहा कि उनके श्रीचरणों में आराधना, साधना और ज्ञानार्जन का मुझे वर्षों तक सौभाग्य मिला। स्नेहिल दृष्टि और विश्वास मिला। उनकी प्रेरणाएँ सदैव हमारा मार्ग प्रशस्त करती रहेंगी। कार्यक्रम का प्रारंभ साध्वीवृंद द्वारा ‘महाप्रज्ञ अष्टकम’ से हुआ। तेरापंथ सभा मंत्री गजेंद्र खांटेड़ ने श्रद्धासिक्त विचार व्यक्त किए। महिला मंडल ने सामुहिक गीत का संगान किया। उपासक जयंतीलाल सुराणा एवं महिला मंडल अध्यक्षा पुष्पा हिरण ने भावांजलि अर्पित की। साध्वी डॉ0 राजुलप्रभाजी ने अपनी स्वरचित काव्यांजलि में आचार्य महाप्रज्ञ जी की तुलना शिवशंकर से की। साध्वी डॉ0 चैतन्यप्रभाजी ने कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ जी का व्यक्तित्व असीम था, उनका जीवन अध्यात्म और विज्ञान का समन्वय था। साध्वी डॉ0 मंगलप्रज्ञा जी द्वारा रचित गीतिका का संगान साध्वीवृंद ने किया। कार्यक्रम का संचालन साध्वी सिद्धियशा जी ने किया।