अनासक्त-निर्लिप्त भाव से संसार में रहने का प्रयास करें: आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

अनासक्त-निर्लिप्त भाव से संसार में रहने का प्रयास करें: आचार्यश्री महाश्रमण

सरदारशहर, 9 मई, 2022
9 मई, 2010 के दिन पूज्य आचार्यश्री महाप्रज्ञजी ने सरदारशहर में महाप्रयाण किया था। आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी के उत्तराधिकारी आचार्यश्री महाश्रमण जी ने मंगल देशना देते हुए फरमाया कि हमारे यहाँ तेरापंथ धर्मसंघ में बत्तीस आगमों का महत्त्वपूर्ण स्थान है। ग्यारह अंग, बारह उपांग, चार मूल, चार छेद ओर एक आवश्यक। इन बत्तीस आगमों में एक हैµउत्तराध्ययन। इस आगम में छत्तीस अध्याय हैं। इस आगम में तात्त्विक बात मिलती है और कथानक व घटना प्रसंग भी मिलते हैं। साधु के बत्तीस परिषदों का जितना इसका भी विस्तार से प्रशिक्षण इस आगम के दूसरे अध्ययन में प्राप्त किया जा सकता है।
पहले अध्ययन में विनय कैसे करना प्रशिक्षण दिया गया है। बत्तीसवें अध्याय में आध्यात्मिक संयम की दृष्टि से निर्देश प्राप्त होते हैं। उन्तीसवाँ अध्ययन तो प्रश्नोत्तर के रूप में बड़ा सुंदर है। इस आगम का दसवाँ अध्ययन छोटा सा है, इस अध्ययन के श्लोकों के अंत में बार-बार एक ही आता हैµगौतम समय मात्र भी प्रमाद न करो। अप्रमाद की प्रेरणा से भरा हुआ है। अप्रमाद के अनेक आधार बताए गए हैं। जैसे बताया गया है कि प्रमाद क्यों नहीं करना चाहिए कि जीवन अनित्य है। जैसे कुश के अग्रभाग पर औस की बूँद लटक रही है, वो ज्यादा देर टिकने वाली नहीं है। हर पदार्थ नित्यानित्य होता है। आचार्यश्री महाप्रज्ञजी सन् 2010 में सरदारशहर पधारे थे। यहीं उनका गोठीजी की हवेली में महाप्रयाण हो गया था। जीवन अनित्य है, हम अनित्यता से प्रेरणा लें कि जितना अच्छा काम कर सकें, धार्मिकता की साधना कर सकें, वो खास बात है। धर्म के काम में आलस्य नहीं करना चाहिए, जितना जल्दी हो धर्म का कार्य शुरू कर देना चाहिए। गृहस्थ में रहते हुए भी धर्म का संचय करें। शरीर, धन-संपत्ति नित्य नहीं है, रोज मृत्यु निकट आ रही है, धर्म का संचय करते रहो। वो संपत्ति तुम्हारी है, आगे जाने वाली है। हमारा मोह माया, संसार की ओर कम हो। राग व पदार्थों के प्रति मोह भाव कम हो। ज्यादा आत्मा के आसपास आत्मा में रह सकें। कमल पत्र की तरह अनासक्त-निर्लिप्त भाव से संसार में रहने का प्रयास करें।
पूज्यप्रवर की अभ्यर्थना में संसारपक्षीय परिवार से तनीश दुगड़, नीता बोथरा, कोमल दुगड़, ललित दुगड़, नेमीचंद, विनोद बैद, अखिल भारतीय महिला मंडल, भारती डागा, शशि पींचा, सरला बरड़िया, भंवरलाल नखत ने अपनी भावना अभिव्यक्त की। पूज्यप्रवर ने महिला मंडल को आशीर्वचन फरमाया। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।