पुलक उठा है अम्बर-अवनी

पुलक उठा है अम्बर-अवनी

जन्म दिवस पर मैं अजन्मी भावना का गीत लाई।
पुलक उठा है अम्बर अवनी देते सौ-सौ बार बधाई।।

पता नहीं किन प्राणों ने हैं तुम्हें पुकारा।
विश्व मोहिनी मूरत की उतरी परछाई।
सूरज ने भी अगवाणी में भोर जगाई।
नई रोशनी नखतों ने अपनी बरसाई।।
प्राची ने स्वागत में तेरे मंगलमय मल्हार सुनाई।।

पूर्व दिशा में एक अपूर्व गीत सुनाया।
दक्षिण दिग् ने दक्षिणावर्त शंख बजाया।
पश्चिम ने सिंदूरी बिंदिया शीश लगाकर।
उत्तर ने उन्नत भावों का थाल सजाया।।
क्षीर समंदर ने लहरों से अमृत रस की धारा बहाई।।

गोधूलि में दीप लगे घर-घर में जलने।
ओढ़ चूंदरी संध्या लगी फूलने फलने।
मन-मंदिर में लगे गूँजने नंदी घोष।
सौम्य चाँदनी बिखरी पंथी का मन छलने।।
पंचम स्वर में कोयल ने तब मीठी-मीठी तान मिलाई।।

झूमर झूम उठे खुशियों से मोहन आया।
माँ नेमा ने ममता से आंचल फैलाया।
कितनों ने मस्ती में सोहन थाल बजाया।
आँगन में कुंकुंम रंगोली द्वारा सजाया।।
वर्धमान पर राग प्रभाती गाकर पूरी रात जगाई।।