चेतन मंदिर रोशन कर दो

चेतन मंदिर रोशन कर दो

नेमानंदन शत-शत वन्दन प्रभो बधाते हैं।
मानसपंछी झूमके राग प्रभाती गाते हैं
कि ज्योति चरण का अभिनंदन जय-जय महाश्रमण भगवन्।
सरदारशहर की पावन भूमि गौरव गाते हैं
युगमहानायक श्रद्धा से हम शीष नमाते हैं
हे युगप्रधान अभिनंदन जय जय महाश्रमण भगवन् ।।

जन्म दिया तैजस् दिनमणि को नेमा मां के आभारी
ज्यातिर्धर आचार्यप्रवर की दीवानी दुनिया सारी
पांव-पांव चलकर महासूरज ने इतिहास रचा भारी
हिन्दु मुस्लिम सिक्ख ईसाई नतमस्तक सब नर नारी
अहिंसा यात्रा रंग लाई, भारत की वसुधा मुसकाई
करुणा सागर विदेश धरा पर चरण बढ़ाते हैंे
शांतिदूत घट-घट में शांति कमल विकसाते हैं।।

तुलसी-तेज बालू सुत मेधा शासन मां का आशीर्वर
मूत्तिर्मान शासनपति महाश्रमण में देखो अतिसुंदर
रहे निरामय चिन्मय मूरत, तन्मय भक्ति करे चेतन
एकलव्य सी हो गुरु भक्ति अर्जुन सा आज्ञा आराधन
जय महातपस्वी चिरायु हो, जय महायशस्वी चिरायु हो
अमियपगी दृष्टि से युग संताप मिटाते हैं
युगद्रष्टा युगस्रष्टा वो युगप्रधान कहलाते हैं।।

जागे- जागे भाग्य जगे सौभाग्यवान महाश्रमण मिले
खिले-खिले दिल कमल खिले बागवान महाश्रमण मिले
जले-जले चिद्दीप जले ज्योतिचरण महाश्रमण मिले
फले-फले जीवन सुरतरु जो सर्वशरण महाश्रमण मिले
भर दो गुरुवर शक्ति भर दो, चेतन मंदिर रोशन कर दो
झूमरसुत! हम झूम झूम यश शंख बजाते हैं
मंगल षष्टिपूर्ति जन्मोत्सव बलिहारी जाते हैं।।

लय: लाल दुपट्टा उड़ गया रे ...