महाशक्ति शासनमाता को प्रणाम

महाशक्ति शासनमाता को प्रणाम

शासनमाता साध्वीप्रमुखाश्री कनकप्रभाजी के प्रति उद्गार

साध्वी मल्लिकाश्री
तेरापंथ धर्मसंघ आध्यात्म शिखर पर प्रतिष्ठित एक प्राणवान धर्मसंघ है। इसकी नींव में संविधान, मर्यादा, अनुशासन और साधना की मजबूत ईंटें है। एक आचार्य परंपरा का वरदान प्रदान कर क्रांतिकारी आचार्य भिक्षु ने तेरापंथ में विकास के सिंह द्वार उद्घाटित किए। तेरापंथ धर्मसंघ एक आचार्य के नेतृत्व के कल्पवृक्ष की छांव तले आत्म-शांति, चित्त-समाधि तथा अपूर्व आनंद का आश्रय धाम है।
एक नेतृत्व की परंपरा को सुरक्षित रखते हुए आचार्यों ने अपेक्षानुसार दायित्व का विस्तार भी किया। एक छोटा सा कदम वक्त के साथ चलते-चलते हजारों किलोमीटर की यात्रा में और पल शताब्दी में बदल जाता है। शब्द ग्रन्थ बन जाता है, बूंद सागर में और किरण प्रभाकर में परिणत हो जाती है। अन्नतता के अन्वेषक गणाधिपति गुरुदेव तुलसी ने भी धर्मसंघ के कैनवास पर 14 जनवरी सन् 1972 के दिन एक बिंदु को रेखा के रूप में प्रस्तुत किया। समय के प्रवाह के साथ वह रेखा एक सुंदर चित्र के रूप में उभर आई। बिंदु रूप में साध्वी कनकप्रभा और चित्र रूप में शासनमाता असाधारण साध्वी प्रमुखाश्री कनकप्रभाजी को देखा जा सकता है।
स्टीव जॉब्स ने जिस प्रकार आईफोन का इजाद कर गैजेट्स की दुनिया में धूम मचा दी, उसी प्रकार यह तुलसी कृति भी गौरवमयी साध्वीप्रमुखाओं की श्रेणी में अपूर्व इतिहास बनाने वाली उभरी है। बिंदु से चित्र बनने में गुरुत्रयी की अनन्य कृपा के साथ-साथ आपकी नैसर्गिक एवं अर्जित क्षमताओं का सुयोग भी रहा है।
आचार्य तुलसी के शब्दों में- ‘हमारे धर्मसंघ में अब तक जितनी साध्वीप्रमुखाएं हुई है- महासती सरदारांजी से लेकर लाडांजी तक, उनमें इनका अनुपम स्थान है। उत्कृष्टता की दृष्टि से कनकप्रभाजी का प्रथम स्थान है।’
आचार्य महाप्रज्ञजी ने साध्वी प्रमुखाश्री के व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व का मूल्यांकन करते हुए कहा- ‘दायित्व उन्हें दिया जाता है जिनमें क्षमता हो, योग्यता हो। कनकप्रभाजी में दोनों हैंे। इनमें प्रबुद्धता है, कर्मठता है, लेखन है, वक्तृत्व की क्षमता है। जन-सभा में जब भी बोलती है कुछ नया बोलती है। इनके पास मौलिक चिंतन है। इनकी विनम्रता को प्रथम श्रेणी में रखा जा सकता है। साध्वी प्रमुखाश्री ने योग्यता की कसौटी में शत-प्रतिशत नहीं सवा सौ प्रतिशत अंक प्राप्त किए हैं। हर दृष्टि से ये खरी उतरी हैं। सहिष्णुता में नंबर-वन है। वैराग्य व साधुत्व के प्रति बेजोड. निष्ठा है।’
वर्तमान में आचार्यश्री महाश्रमणजी ने समय-समय पर जिस अहोभाव और उदारता के साथ साध्वीप्रमुखाश्री कनकप्रभाजी के व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व का मूल्यांकन किया, वह नए इतिहास का सृजन है। हिमालय सी गुरुता के आसन पर प्रतिष्ठित आचार्य-प्रवर ने अपने आचार्य पदाभिषेक के अवसर पर कार्यक्रम के मध्य महासती, महाशक्ति, विभूति आदि-आदि महनीय शब्दों से सम्मान किया। गुवाहाटी चातुर्मास में आचार्यप्रवर ने साध्वीप्रमुखाश्री के 76वें वर्ष में प्रवेश पर ‘असाधारण साध्वी प्रमुखा’ संबोधन से संबोधित किया।
असाधारण प्रतिभा की धनी साध्वी प्रमुखाश्री कनकप्रभाजी ने साहित्य सृजन और संपादन में भी एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। यश-ख्याति की भावना से दूर रहकर तुलसी वाङ्मय की 108 पुस्तकों का संपादन कर आपने जो कार्य किया है, वह आत्म-साधना की ऊंचाई और संघ-निष्ठा की गहराई का प्रतीक है।
आपश्री का उर्वर मस्तिष्क, संवेदनशील-ह्नदय, पराक्रमी कर-युगल एवं वीतरागता की दिशा में बढ.ते कदम ‘शासनमाता’ की जीवन पुस्तक के प्रेरक पृष्ठ है।
प्रबुद्धता, उत्कृष्ट कोटि की विनम्रता, समर्पण शीलता आदि विशेषताओं की सहचरी बनने वाली आपकी संवेदनशीलता ने चतुर्विध धर्मसंघ के ह्नदय की गहराईयों में उतरकर अमिट आलेख लिखा है। इस संवेदनशील व्यक्तित्व की अप्रतिम शक्ति को तीन रूपों में महसूस किया जा सकता है-

  1. केयंरिंग पावर
  2. कम्यूनिकेटिंग पावर
  3. केटलाइजिंग पावर

 

  1. केयरिंग पावर - धीरुभाई अंबानी की तरह साध्वीप्रमुखाजी ‘सर्विस विद केयर’ का उद्देश्य सामने रखकर साध्वी समाज के निर्माण एवं विकास के लिए प्रयत्नशील थे। प्रायः साध्वियों के स्मृति निर्झर से आपकी कृपा-वत्सलता की रसमय बूंदें समय-समय पर झरती रहती थी। इन बूंदों का संकलन किया जाए तो आपका केयरिंग पावर यथार्थ रूप में अभिव्यक्त हो सकता है।
  2. कम्यूनिकेटिंग पावर - कुशल संवाद संप्रेषण व्यक्तित्व का एक विशिष्ट गुण है। समाज में रूपांतरण लाने वाली और संस्कृति में नया अध्याय जोड.ने वाली संप्रेषणशीलता साध्वी प्रमुखाश्रीजी की एक विलक्षण शक्ति है। सही समय पर, सही तरीके से, सही शब्दों में कही जाने वाली आपकी बात सीधे श्रोता के ह्नदय एवं मस्तिष्क में उतरती है। निष्कर्षतः इस संवाद-संप्रेषण की कला से अनगिनत व्यक्तियों के मन-मंदिर में आपने संघ-संघपति एवं आत्मा के प्रति आस्था के अभिनव दीप जलाए हैं।
  3. केटलाइजिंग पावर - शासनमाता की प्रेरणा केटलिस्ट की तरह कार्य करती है। केटलाइजिंग परिवर्तन की सुनियोजित प्रक्रिया है। जैसे केटलिस्ट की उपस्थिति रासायनिक प्रक्रिया की गति को रूपांतरित कर देती है, वैसे ही आपकी प्रेरणा भी भीतरी प्रवाह को नया-मोड. देती है। सरस शैली और मधुर शब्दों का सुयोग व्यक्ति के अंतःकरण को स्वतः निर्दिष्ट पथ का अनुगामी बना देता है। जैसे एक राजा लाखों याचको को, सूर्य कमलों को और मेघ-चातकों को संतुष्ट कर सकता है, वैसे ही आपके इस शक्तिमयी व्यक्तित्व ने अनगिनत व्यक्तियों को बोधि-समाधि और विशुद्धि का अर्पण करके उन्हें तृप्त किया है।

 

अस्तुः सपनों के दीपक में पुरूषार्थ का तैल डालकर आपने बिंदु से चित्र बनने का यह सुनहरा सफर तय किया है। इन पावन पलों में यही श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं कि मन की वल्गा को थामने वाले इस विशिष्ट व्यक्तित्व का संरक्षण सदैव स्वर्गलोक से मेरी (हमारी) साधना को प्रदीप्त करता रहे।
अंत में कुछ पक्तियां कविता की -

जिन के अंतःकरण में ज्ञान का दीप निरंतर जलता रहा
दर्शन की गहराईयों में चित्त निरंतर गोते लगाता रहा।
जीवन की चादर को चरित्र के धागों से सींता रहा और
तप की आंच में सदा कुंदन बन दमकता रहा
ऐसी वीर्य-वीरांगना की असाधारणता को,
प्रतिक्षण प्रणाम, नित्य-नमन, परेण्य-वंदन।।