वंदन

वंदन

हम नमन करते हैं ममतामय मनस्विनी को,
हम नमन करते हैं समतामय स्त्रोतस्विनी को,
हम नमन करते हैं क्षमतामय तेजस्विनी को।

असाधारण साध्वीप्रमुखाश्री जी का जीवन असाधारण विशेषताओं का समवाय था। सरवर, तरुवर और संत जन खुले हाथों पुण्यों का वैभव बाँटते हैं, वैसे ही अध्यात्म चंद्रिका भक्ति भागीरथी, प्रणम्य आस्था महाश्रमणीजी के एक जीकारा में जागृति का अहसास था। आपके नयनों में करुणा का अमृत निर्झर था। रोम-रोम में ऊर्जा का पावर हाउस था।
आपके मस्तक में विराजमान रहती सरस्वती। जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण है आप द्वारा विनिर्मित साहित्य दीर्घा। आपकी मनीषा में ‘मेरा जीवन मेरा दर्शन’ को नया स्वरूप प्रदान किया। एक महामानव आचार्यश्री तुलसी को सदियों सहस्त्रावादियों तक नई पीढ़ी का आदर्श बना दिया। आपकी सधी, लेखनी से लिखा गया साहित्य हो या आत्मकथा, कविताओं का लालित्य हो या प्रवचन पटुता का नैपुण्य, हर पाठक को यों अहसास देता जैसे हम अध्यात्म के साथ यात्रायित हो रहे हैं।
आपके नयनों में बसती महिमामय महालक्ष्मी की छवि। आप पीसफूल जीवन जीती। पावरफूल संकल्पों, सपनों का आलोक बाँटती। प्रपजफूल लक्ष्यों का संपोषण प्रदान करती इसलिए आप प्राउडफूल लक्ष्मी ज्यों चार तीर्थ के दिल दिमाग में संस्कारों का निवेश कराती हुई आकर्षण का केंद्र रहती थी।

जिनके रोम-रोम में जिनशासन बसा था
जिनकी कर कोशिका में भिक्षु शासन रमा था
जिनकी गुरु निष्ठा और गण निष्ठा लाजवाब थी
जिनकी आगम आज्ञा मर्यादा निष्ठा बेजोड़ थी
जो हर दिन खुशी और खुशहाली का संदेश देते

ऐसी श्रमशीलता, स्नेहशीलता, कार्यकुशलता की महाज्योत के चरण कमलों में दुर्गा भवानी सदा नतमस्तक रहती थी। आपकी हर सुबह ज्ञान, रश्मि योग रश्मि, चैतन्य रश्मिमयी होती। हर शाम नई सोच नए सफर को लिए पवित्रता का संदेश देती। आपकी स्नेहिल छाँह तले हमें मिलता था अध्यात्म का पोस्टिक रसायन। आपके महाप्रयाण से एक शासनमाता की, एक असाधारण साध्वीप्रमुखा की, एक संघ महानिदेशिका की, एक महाश्रमणी की कमी हो गई।