शासनमाता...

शासनमाता...

शासनमाता की---
तेरी बलिहारी हम जायें
गौरव सुषमा को महकायें
यादें भूल नहीं हम पायें।।

शांत सौम्य थी तेरी सूरत
लगती मनमोहक वह मूरत
फैली जग में भारी कीरत।।

गुरुवर ने अनशन पचखाया
गण में कीर्तिमान बनाया
श्रमणी गण का मान बढ़ाया।।

तुम हित मित परिमित भाषी
पाई गुण रत्नों की राशि
उज्ज्वल निर्मल सतत प्रकाशी।।

अर्पित करते श्रद्धांजलियाँ
गाये जन-जन विरुदावलियाँ
मुरझी नाजुक नन्हीं कलियाँ।।

लय: धरती धोरां री---