उवसग्गहर स्तोत्र का अनुष्ठान

संस्थाएं

उवसग्गहर स्तोत्र का अनुष्ठान

भुवनेश्वर।
मुनि जिनेश कुमार जी के सान्निध्य में तेममं के तत्त्वावधान में स्वस्तिक आकार में उवसग्गहर स्तोत्र का अनुष्ठान तेरापंथ भवन में आयोजित हुआ। करीबन 150 भाई-बहिनों ने जोड़े व बिना जोड़े व गणवेश के साथ भाग लिया। इस अवसर पर मुनि जिनेश कुमार जी ने कहा कि आत्मशुद्धि के अनेक उपायों में एक महत्त्वपूर्ण उपाय मंत्र साधना, जप साधना है। विशिष्ट अक्षरों की संयोजना का नाम मंत्र है। मुनिश्री ने आगे कहा कि जैन धर्म में नमस्कार महामंत्र का प्रथम स्थान है तो द्वितीय स्थान उवसग्गहर स्तोत्र का है। मंत्र साधना में उच्चारण शुद्धि, एकाग्रता, नियमितता, सार्थक अर्थ का बोध होना जरूरी है। मुनि परमानंद जी, मुनि कुणाल कुमार जी आदि का भी सहयोग रहा। कार्यक्रम को सफल बनाने में महिला मंडल का विशेष योगदान रहा।