दुर्लभ मानव जीवन मुक्ति का द्वार बन सकता है: आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

दुर्लभ मानव जीवन मुक्ति का द्वार बन सकता है: आचार्यश्री महाश्रमण

जयसंगसर, 24 अप्रैल, 2022
सरदारशहर के लाल और तेरापंथ के भाल आचार्यश्री महाश्रमण जी 13 किमी का विहार कर जयसंगसर के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय पधारे।
मुख्य प्रवचन में आचार्यश्री महाश्रमण जी ने मंगल देशना देते हुए फरमाया कि हमारी दुनिया में जय और पराजय की बात भी होती है। चुनाव में भी जय-पराज की बात सामने आती है। आजकल तो एक्जिट पोल से पहले ही अंदाज लगाया जा सकता है।
एक जमाने में राजतंत्र था तब राजा माँ के पेट से आता था। अब राजा वोट की पेटी से आता है। कहीं संघर्ष हो जाए तो भी जय-पराजय की बात हो जाती है। एक जय की बात अध्यात्म के क्षेत्र में भी आती है। जीतो, अपनी चेतना को जीतो। अपने मन-चित्त, अपने आपको जीतो।
जीतने की बात है, तो जीतने के लिए शक्ति भी चाहिए। पुरुषार्थ-पराक्रम भी जीतने के लिए अपेक्षित होता है। पुरुषार्थ भी सही तरीके से हो। सही दिशा में हो तो परिणाम ज्यादा अच्छा आने की संभावना बन सकती है। यह एक प्रसंग से समझाया कि ठीक जगह सही पुरुषार्थ है, तो निष्पत्ति आ सकती है।
हमारे जीवन में भी पुरुषार्थ सही जगह हो। सही समय पर पुरुषार्थ होगा तो अच्छा परिणाम आ सकता है, यह भी एक प्रसंग से समझाया कि रोग पकड़ में आ जाए तो निदान हो सकता है। आत्मा और अध्यात्म के क्षेत्र में चोट करना महत्त्वपूर्ण है। मोहनीय कर्म और कषाय पर चोट करें। राग-द्वेष, क्रोध, मान, माया, लोभ दूर हो जाएँगे तो ठीक हो जाएगा।
एक दृष्टांत से और समझाया कि राग और द्वेष हमारे दो शत्रु हैं, ये चेतना में रहते हैं, तो दुःख की बदबू आती है। राग-द्वेष या काम-क्रोध को कम करने, बचने का प्रयास करना चाहिए। राग-द्वेष कर्म के बीज हैं।
हमारे अनंत जन्मों के संस्कार हैं। पुनर्जन्म का सिद्धांत है। आत्मा पहले भी कहीं थी। कितनी योनियाँ हैं। अनादिकाल से आत्मा जन्म-मरण कर रही है। ये मानव जन्म मिला है, ये द्वार बन सकता है, मुक्ति का। इस मनुष्य जन्म में तपस्या, साधना, आराधना करें तो भव पार हो सकता है, जन्म-मरण से छुटकारा मिल सकता है।
मानव जन्म को पापों में नहीं खोना चाहिए। इसका लाभ उठाना चाहिए। आदमी नैतिकता, अहिंसा, संयम व नशामुक्ति का पालन करें तो जीवन सार्थक बन सकता है। पापों से बचकर साधना करें तो मोक्ष की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं। आज जयसंगसर आए हैं। सरदारशहर के जैसनसरिया से जुड़ा है। सबमें धर्म की भावना रहे। पूज्यप्रवर ने नशामुक्ति के संकल्प करवाए।
साध्वी पावनप्रभाजी ने पूज्यप्रवर के दर्शन किए एवं अपनी भावना अभिव्यक्त की। पूज्यप्रवर के स्वागत में भंवरलाल नखत, सरपंच केशरीमल सारण, ताराचंद सारण, विद्यालय प्राधानाचार्य मेघदान सारण ज्ञानशाला, ज्ञानशाला प्रशिक्षिका, कन्या मंडल व दीपू जैसनसरिया ने अपनी भावना अभिव्यक्त की।
कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।