ऑनेस्टी इज द बेस्ट पॉलिसी: आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

ऑनेस्टी इज द बेस्ट पॉलिसी: आचार्यश्री महाश्रमण

भिवानी, 5 अप्रैल, 2022
तीर्थंकर तुल्य आचार्यश्री महाश्रमणजी आज प्रातः छोटी काशी के नाम से प्रसिद्ध भिवानी शहर में पधारे। महातपस्वी ने मंगल प्रेरणा पाथेय प्रदान करते हुए फरमाया कि हमारी आत्मा के लिए एक महत्त्वपूर्ण तत्त्व हैµईमानदारी, नैतिकता, भ्वदमेजल पे जीम इमेज चवसपबल अंग्रेजी के इस सूक्त को याद करना भी अच्छा है। विद्यार्थियों को ऐसे सूक्त पढ़ने-सुनने को मिलते हैं, उनमें कुछ संस्कार निर्माण हो सकता है।
आदमी के लिए जैसे पैसा एक संपत्ति होती है, गृहस्थ जीवन में तो आदमी सोचे कि ईमानदारी भी एक संपत्ति है। पैसा बाह्य संपत्ति है और ईमानदारी आत्मा की संपत्ति है। पैसा चला भी गया तो आत्मा का कुछ नुकसान नहीं है, परंतु ईमानदारी चली गई तो आत्मा के अहित की बात है। यह एक प्रसंग से समझाया कि आदमी के पास सत्य रूपी संपत्ति है, तो बाह्य लक्ष्मी आएगी ही।
लक्ष्मी चंचल होती है, आदमी के प्राण भी चंचल हैं, जीवन और जवानी भी चंचल है, यह चलाचल संसार है, इसमें धर्म एक निश्चल तत्त्व हो सकता है। आचार्यश्री महाप्रज्ञजी ने दो शब्द बताए हैंµअर्थ और अर्थाभास। न्याय से उपार्जित धन अर्थ होता है। अन्याय नीति से कमाया गया पैसा अर्थाभास है।
गृहस्थ जीवन में अर्थ का अर्जन बुरी बात नहीं होती है। आवश्यक भी हो सकती है। बुरी बात वह हो सकती है, जब अर्थ के साथ अनैतिकता जुड़ जाती है। अशुद्धता जुड़ जाती है। घर में अशुद्ध पैसा न आए। धर्म या धार्मिक संस्था के साथ अशुद्धता न आए। सत्य-ईमानदारी ही हमारे जीवन की संपत्ति है। जहाँ सत्य है, वहाँ लक्ष्मी भी रहती है। लक्ष्मी से ज्यादा सत्य को महत्त्व दें। आग्रह के साथ रखें। जिंदगी में सत्य और लक्ष्मी दोनों में चुनाव करना हो तो सत्य का ही वरण करें। सत्य हमारी आत्मा की संपत्ति है। यह आगे जाने वाली है, पैसा नहीं। धर्म का प्रभाव आगे जा सकता है। पैसे का ज्यादा भरोसा नहीं करना चाहिए कि वह कब तक टिकेगा।
धन के साथ धर्म को जोड़ दें। लोग पैसे का समाजहित में उपयोग भी करते हैं। प्रश्न है कि दान कितना किया, बेईमानी से धन कितना कमाया, ऐरण की चोरी और सूईं का दान। आदमी पैसा अर्जन में ज्यादा से ज्यादा ईमानदारी रखने का प्रयास करे। दुकानदार हो या ग्राहक, दोनों ही ईमानदार हो। हर कार्य में ईमानदार रहे।
ईमानदार व्यक्ति पर ही विश्वास जमता है। बेईमान या ठग पर नहीं। ईमानदार को आर्थिक दृष्टि से भी लाभ हो सकता है। ईमानदार होना आत्मा की दृष्टि से, धर्म की दृष्टि से और शांति की दृष्टि से बहुत अच्छा तत्त्व है। अणुव्रत में भी ईमानदारी, संयम, नैतिकता की बात आती है। धर्म की दृष्टि से देखें तो अहिंसा-सच्चाई को कौन धर्म बढ़िया नहीं मानता।
ये अच्छी बातें जीवन में आएँ। जाति, संप्रदाय, धर्म आदि के आधार पर हिंसा को मौका न मिलेगा। भारत में अनेक धर्मों के लोग रहते हैं। इंसान पहले इंसान फिर हिंदु या मुसलमान। सब हिंसा से बचने का प्रयास करें। विश्व में भी शांति-मैत्री रहे। कोई समस्या हो तो शांति-वार्ता से सुलझाने का प्रयास करें। मानव जीवन के लिए अहिंसा, सद्भावना, मैत्री, नशामुक्ति आवश्यक है ताकि जीवन अच्छा रह सके। संयम, शांति रहे, नैतिकता रहे।
आज भिवानी आना हुआ है। परमपूज्य आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी के साथ यहीं प्रेक्षा विहार में चतुर्मास किया था। भिवानी जिसे छोटी काशी कहा जाता है, यहाँ की जनता में विद्वता के साथ चरित्रशीलता रहे, शांति रहे, मंगलकामना। पूज्यप्रवर की अभिवंदना में स्थानीय सभा अध्यक्ष महेंद्र जैन, प्रेक्षा विहार से अशोक जैन, जीवन-विज्ञान योग ट्रस्ट से शिवरतन गुप्ता, सामुहिक स्वागत गीत (महिला मंडल, सभा, तेयुप व कन्या मंडल) द्वारा शशि रंजन पंवार, भिवानी मुख्य उपायुक्त आर0एस0 ढिल्ला, प्रमुख समाज सेवी बृजलाल सर्राफ, निरंकारी संत समाज से बलदेवराम नागपाल, संत चरणदास, उपमुख्यमंत्री के प्रति विजय गोठला ने अपने भावों की अभिव्यक्त् िदी। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया। स्वागत समारोह का संचालन सुरेंद्र जैन ने किया।