वंदे शासनं - वंदे सतिवरं

वंदे शासनं - वंदे सतिवरं

वंदे शासनं - वंदे सतिवरं

साध्वी रतिप्रभा

युगों युगों तक शासनमाता की गरिमा जग गाएगा।
तुलसी की इस अभिनव कृति को, श्रद्धाशीश झुकाएगा।
वंदे सतिवरं वंदे सतिवरं।।

विनय समर्पण के द्वारा, तुमने गुरुवर का दिल जीता।
गुरु की छत्रछाँह में तेरा, जीवन मधुवन है बीता।
तुम बिना आज लग रहा हमको, यह शासन जैसे रीता।
दुर्लभ ऐसी शासनमाता, सबका हृदय रुलाएगा।
वंदे सतिवरं।।

तुलसी महाप्रज्ञ महाश्रमण की महर नजर पाई।
इस भैक्षवशासन में तुमने पाई कितनी ऊँचाई।
कच्ची कोंपल वटवृक्ष सी अभिनव दिव्यता दिखलाई।
तेरी अद्भुत गुरुभक्ति पर, जग यह गौरव गाएगा।
वंदे शासनं।।

श्रम की ले मशाल तुमने, नंदनवन का भंडार भरा।
तेरी पावन सन्निधि पाकर, कितनों का जीवन निखरा।
अप्रमत्त चेतना ने इस गण को किया है हरा-भरा।
तेरे गुण सुमनों की सौरभ पा, जीवन विकसाएगा।
वंदे सतिवरं।।

है आदर्श जीवन तुम्हारा, किन वर्णों में बतलाएं।
आध्यात्मिक ज्योति को पाकर ज्योतिर्मय हम बन जाएं।
ब्रह्म मुहूर्त की अभिनव बेला को, कैसे हम विसराएं।
पावन ज्ञानामृत की धारा, पा जीवन सरसाएगा।
वंदे शासनं।।

लय: वंदे शासनं आओ बच्चों तुम्हें दिखाएं...