दुनिया गौरव गाती

दुनिया गौरव गाती

दुनिया गौरव गाती

साध्वी उज्ज्वलरेखा

ममतामयी माँ तेरी, रह-रह यादें आती।
जब ध्यान धरूँ तेरा, नयने ये छलक जाती।।आ0।।

चरणों में जब आते, शुभ आशीर्वर पाते।
वात्सल्यामृत पाकर, अंतर घट भर जाते।
मृदु वचनों से सबके, दिल में तूं समा जाती।।

आचार निष्ठा गणनिष्ठा, गुरु निष्ठामय जीवन।
गुरुत्रय की सेवा का, पाया अवसर पावन।
अति विनय समर्पण से, आभा मंडित ख्याति।।

वक्तृत्व कला अनुपम, लेखन आगम संपादन।
स्वाध्याय मृदंग बजती, प्रतिपल तेरे चरणन्।
तत्त्वज्ञ महाज्ञानी, दुनिया गौरव गाती।।

प्रज्ञा जागृत क्षण-क्षण, आभामंडल उज्ज्वल।
सक्षम नेतृत्व तुम्हारा, देता सबको संबल।
सुयश सुरभि तेरी, चिहुंदिशियां महकाती।।

लय: गुरुदेव दया करके...