महाशक्ति को शत-शत वंदन

महाशक्ति को शत-शत वंदन

साध्वी कीर्तियशा

महाप्रयाण-महाशक्ति का, महाशक्ति को शत-शत वंदन।
ज्योतिर्मय जीवन पृष्ठों से, पुलकित है गण-गगनांगण।।

सूरज-चाँद सितारों जैसा, तेजस्वी व्यक्तित्व तुम्हारा।
हिमगिरी की ऊँचाई से भी, ऊँचा है कर्तृत्व तुम्हारा।
नेतृत्व-निराला पाकर तेरा, महक रहा है गण का कण-कण।।
महाप्रयाण-महाशक्ति का, महाशक्ति को वंदन।।

अष्ट-सिद्धियाँ, नव-निधियाँ, तुम में, अष्ट-मंगल तुम हो साक्षात्।
गौरवशाली इतिहास तुम्हारा, पढ़कर प्रफुल्लित तेरा गात।
चैतन्य-रश्मि ‘साध्वीप्रमुखा’ का, शब्द-शब्द भरती नव-स्पंदन।।

मीत-तुम्हीं हो, गीत तुम्हीं हो, जीवन का संगीत तुम्हीं हो।
आस तुम्हीं हो, साँस तुम्हीं हो, जीवन का मधुमास तुम्हीं हो।
शासनमाता सन्निधि पाकर, मोद मनाती हर-पल हर-क्षण।।
महाप्रयाण-महाशक्ति का, महाशक्ति को वंदन।।

कदम-कदम पर कमल खिले, तेरे चरणों में महाशक्तिधर।
फैली यश की ‘महावल्लरी’ अर्द्ध सदी का था शुभ-अवसर।
पा स्नेहिल अनुशासन तेरा, हम तो बन गए आनंद-धन।।
महाप्रयाण-महाशक्ति का, महाशक्ति को वंदन।।

गुरु-चरणों में संघ समूचा, स्वर्ण-जयंति मनाने आया।
‘शासनमाता’ प्रभो! संबोधन दे, ‘साध्वीप्रमुखा’ मान बढ़ाया।
‘स्वर्ग-लोक’ से ऐसा वर दो, भर दो सबमें अभिनव पुलकन।।
महाप्रयाण-महाशक्ति का, महाशक्ति को वंदन।।