कोटिशः नमन

कोटिशः नमन

कोटिशः नमन

शासनश्री साध्वी कुंथुश्री

शासनमाता महाश्रमणी जी के पादाम्बुज में कोटिशः नमन।
ममतामयी वात्सल्यमयी करुणामयी अर्पित आस्था वंदन।
सति शेखरे तेरी रहमत सभी पर बरसती रहती थी।
तेजोमय महाशक्ति को श्रद्धाप्रणत करते वंदन अभिवंदन।।

आपकी निर्मलता श्रमशीलता प्रबुद्धता सचमुच निराली थी।
प्रज्ञामयी ज्योतिर्मयी चेतना अभिभूत करने वाली थी।
सहजता सरलता अप्रमदता का ग्राफ इतना उन्नत था।
कि साधना आराधना उपासना सबको चकित करने वाली थी।।

तुम्हारा पवित्र जीवन मधुर मुस्कान से सदा बहार था।
दिवस हो चाहे रात्रि हर वक्त चमकता दीदार था।
क्या करिश्माई नूर भरा था स्नेहिल नयनों में।
तेरी निकट सन्निधि से उमड़ता समता का पारावार था।।

किसी को अपनी दौलत पर नाज होता है।
किसी को अपनी शोहरत पर नाज होता है।
हमें ऐसी असाधारण विलक्षण साध्वी प्रमुखाश्री जी मिले।
समस्त तेरापंथ धर्मसंघ को अपनी किस्मत पर नाज होता है।।