शासनमाता री गौरव गाथा

शासनमाता री गौरव गाथा

साध्वी स्वस्थप्रभा

शासनमाता री गौरव गाथा जन-जन गावै है।
ममता समता क्षमता री स्मृतियाँ सरसावै है।।अ।।

सन् 1941 श्रावण तेरस शुभ जनम लियो।
राजधानी बंगाल देश री कोलकाता नै धन्य कियो।
सूरजमल जी छोटी बाई पितुमाता कहावै है।।
शासनमाता----

प्रतिभा पौरुष स्यूं शिक्षा में सब स्यूं ऊँचो स्थान वर्यो।
फला नाम नै सार्थक करणै संयमपथ स्वीकार कर्यो।
अप्रमत्तता साधक रो जीवन चमकावै है।।
शासनमाता----

गुरु तुलसी निज कृति नै संघ भाल पर सामैल्यया हा।
धीर और गंभीर संघ मणी सगला रै मन भाया हा।
रत्नाधिक अवरम सतियाँ अहो भाग्य सरानै है।।
शासनमाता----

ब्रह्ममुहूर्त में मंडली रै संग करवाता स्वाध्याय सदा।
जिज्ञासा पर अर्थ वाचना आप दिराता सटीक तदा।
जीवनशैली प्रेरक मुक्ति पथ प्रकटावै है।।
शासनमाता----

संघ महानिदेशिका पद श्रीगुरु तुलसी बगसायो है।
माता महाप्रज्ञ प्रभु करुणा इमरत रस बरसायो है।
महाश्रमण स्यूं अंतिम क्षण अनशन वर पावै है।
शासनमाता----

परम समाधि स्वस्थप्रभा नै देती बामूरत प्यारी।
मासिक पुण्यतिथि चवदस सुदयादां में सूरत थांरी।
करूँ समर्पित श्रद्धांजलियाँ मन मधुकर गावै है।।

लय: आ बाबासा री लाडली...