दर्शन के लिए मन प्यासा

दर्शन के लिए मन प्यासा

साध्वी प्रांशुप्रभा

मां की ममता को पाकर के, हम निहाल हो गए।
जो तुमने हमें दिया, हम खुशहाल हो गए।
जाकर के भी हमें, संयम में साझ देना हे मां।
तुम्हारे पावन संदेश, जग के नाम हो गए।

मां तुम बच्चों की आशा, दर्शन के लिए मन प्यासा
जल्दी अपने पास बुला लो, दिव्य रूप से आ संभालो।।

तुमसे पाया संस्कारों का अमृत सिंचन।
तुमसे ही करवाया प्रथम केश लुंचन।
तुम्हारी शिक्षाएं हर पल याद आयेगी।
तुम्हारे जैसे बन जाये हम भी कंचन।

तुम्हारे जैसी आ जाये, मुझमें आचार कुशलता।
तुम्हारे जैसी अपनाऊं व्यवहार कुशलता।
तुम मुझमें भरती रहो संस्कार कुशलता।
तुम हर पल बरसाती रहो स्नेह वत्सलता।

ममता की मूरत हो तुम।
समता की सूरत हो तुम।
अनावेश की प्रेरणा हो तुम।
अनासक्ति की चेतना हो तुम।।