दरस दिरावो जी

दरस दिरावो जी

दरस दिरावो जी

साध्वी अनुशासनश्री

तुलसी युग तरुणिम आभा, साध्वीप्रमुखा कनकप्रभा।
भक्ता री विनती पर गोर करावो, शासनमाता जी,
पधरावो म्हारा माताजी, याद घणां आवो जी,
दरस दिरावो जी।।

आँख मूँद जद म्है ध्यावां, हिवडै में मूरत पावां।
वत्सलता री खाली गगरी, भरवावो महाश्रमणी जी।।

साँसां री सरगम बोलो, सातूं सुर इत उत डोले।
निष्प्राणां में प्राणं रो संचार करावो महाश्रमणी।।

हाथां में जद कमल धरां, कॉपी में लिखणै उतारां।
वरदहस्त स्यूं आशीर्वर बरसाओ म्हारा महाश्रमणी।।

चरणां ने गतिमान करां, लक्षित मंजिल वरण करां।
पकड़ आंगुली ऊर्जा संप्रेषित करवावो महाश्रमणी।।

नंदनवन री फुलवारी मुरझाई हर इक क्यारी।
गण क्यारी में शक्ति òोत बहावो महाश्रमणी जी।।

लय: कल्पतरु रा बीज...