भगवान ऋषभ दीक्षा कल्याणक दिवस का आयोजन

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भगवान ऋषभ दीक्षा कल्याणक दिवस का आयोजन

छापर।
तपोमूर्ति मुनि पृथ्वीराज जी स्वामी के सान्निध्य में भिक्षु साधना केंद्र में भगवान ऋषभ दीक्षा कल्याणक दिवस वर्षीतप प्रारंभ करने के अवसर पर मुनि पृथ्वीराज जी ने कहा कि भगवान ऋषभ का जन्म तीसरे आरे में हुआ था। और दीक्षा लेने के साथ 4000 व्यक्तियों ने दीक्षा एक साथ ली थी वह युग भौगोलिक जीवन अस्त-शस्त्र लंबा परिवान नहीं था, राजा प्रजा की कोई व्यवस्था नहीं थी, समाज भी नहीं था, गाँव-कस्बे व शहर नहीं थे। तीन धारा भगवान ऋषभ का जन्म दिवस, दीक्षा दिवस हुआ था। जहाँ जैन/बौद्ध वैदिक संस्कृति थी, जैन धर्म विश्व का प्राचीनतम धर्म है, भगवान महावीर के बाद जिन भद्र जी श्रवण जी प्रारंभ में उसका नाम श्रवण धर्म संघ था व आर्हत धर्म हुआ, निग्रंथ धर्म कहा जाता था महात्मा बुद्ध महावीर के समकालीन थे स्वार्थ को नहीं परमार्थ की भी भावना उजागर की और प्रवृत्ति के स्थान पर निवृत्तिकारज का पथ दिखलाया, मुनिश्री ने भोग के स्थान पर त्याग की बात कही।